श्रीलंका में लगाए गए बैनर पर तमिल की जगह ले रही है चीनी भाषा !

‘चीन को उंगली पकडाई, उसने पहुंचा पकडा’ इससे यही स्पष्ट होता है ! आज तमिल भाषा को हटाने वाला चीन कल संपूर्ण श्रीलंका को अपने नियंत्रण में ले लेगा इसका आश्चर्य न हो !

कोलंबो (श्रीलंका) – श्रीलंका सरकार के प्रकल्पों के विषय में प्रदर्शित होने वाले बैनरों पर हमेशा अंग्रेजी, सिंहली और तमिल इन ३ भाषाओं का समावेश होता है; लेकिन अब चीनी भाषा द्वारा तमिल भाषा को हटाकर उसकी जगह लेने की २ घटनाएं सामने आने से श्रीलंका में बडा विवाद शुरू हुआ है । ‘चीनी लोग श्रीलंका पर अपना सांस्कृतिक वर्चस्व लादना चाहते हैं क्या ?’, ऐसी चर्चा शुरू है ।

१. इस सप्ताह चीन ने श्रीलंका के महाधिवक्ता डप्पूला डे लिवेरा के कार्यालय को स्मार्ट ग्रंथालय भेंट दिए । ग्रंथालय का प्रकाशन करते समय सिंहली, अंग्रेजी और चीनी भाषा में लिखे एक बैनर का अनावरण किया गया है । इस बैनर पर तमिल का समावेश नहीं था । इसपर विवाद निर्माण हुआ । चीनी भाषा का प्रयोग श्रीलंका के अधिकृत त्रैभाषिक नियम के विरुद्ध है । इस टिप्पणी के कारण यह बैनर बाद में निकाल दिया गया ।

२. इस पर स्पष्टीकरण देते हुए चीनी दूतावास ने ट्वीट किया है । उसमें कहा है कि, हम श्रीलंका की तीनों अधिकृत भाषाओं का आदर करते हैं और चीनी कंपनियों को उसका अनुसरण करने के लिए प्रवृत्त करते हैं ।

३. पिछले सप्ताह में चीन की ओर से बनाए जा रहे कोलंबो पोर्ट सिटी में विकसित किए गए ‘सेंट्रल पार्क’ में तमिल भाषा का स्थान चीनी भाषा ने लिया था । सोशल मीडिया पर यह वृत्त प्रसारित होने के बाद कोलंबो पोर्ट सिटी की ओर से निवेदन जारी किया गया कि, यह चित्र पुराने बैनर का है ।

४. ‘तमिल नेशनल अलायंस’ के (‘टी.एन.ए.’ के) सांसद शनकियान रसमनिकम ने कहा कि, श्रीलंका में कौन से बैनर लगे, यह चीन तय कर रहा है । इस कारण श्रीलंका अब ‘ची-लंका’ हो गई है ।

५. अनेक प्रभावशाली बौद्ध भिक्षुओं ने भी साम्यवादी चीन का ‘कोलंबो पोर्ट सिटी’ पर बढ रहे नियंत्रण का विरोध किया है ।