वरिष्ठों ने अपना जीवन जी लिया है, इसलिए उनकी अपेक्षा युवाओं का टीकाकरण करें !

देहली उच्च न्यायालय का केंद्र सरकार को परामर्श

नई देहली – कोरोना की दूसरी लहर के कालावधि में हमने कितने युवाओं को खोया हैं, यह सोचकर हमें दुख हो रहा है । आप उन लोगों का जीवन बचाने का प्रयास कर रहे हैं, जिन्होंने अपना जीवन जी लिया है । वरिष्ठ नागरिक देश नहीं चला सकते । हम यह नहीं कहते हैं कि, ‘आपने वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए’; परंतु यदि टीकों की कमी है, तो न्यूनतम प्राथमिकता तैयार करें । युवाओं को प्राथमिकता दें, उन पर देश का भविष्य निर्भर है, ऐसा परामर्श देहली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को दिया है । टीकों की कमी, काले कवक (ब्लैक फंगस) के रोगियों की बढती संख्या एवं आवश्यक औषधियों की अपर्याप्तता इन से संबंधित प्रविष्ट की गई एक याचिका पर सुनवाई के समय न्यायालय ने यह परामर्श दिया ।

न्यायालय ने आगे कहा कि,

१. टीकों तथा औषधियों के संदर्भ में कुछ भी कठिनाई आने पर अन्य देशों ने अपनी प्राथमिकताएं बदल दी हैं । हमने इटली के संबंध में पढा है कि, जब वहां खाटें (बेड) कम थी, तब उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों को चिकित्सालयों में प्रवेश देना बंद कर दिया था ।

२. जैसा कि हमने आज पढा हैं, सरकार ने अनाथ बच्चों के लिए एक नीति तैयार की है । इसकी आवश्यकता क्यों प्रतीत हुई ? एक बच्चे को अपने माता-पिता के समान स्नेह एवं प्रेम अन्य किसी से नहीं मिलेगा । इसलिए, प्रथम उन्हें बचाना होगा ।

यदि केंद्र सरकार के पास टीके ही उपलब्ध नहीं थे, तो उन्होंने टीकाकरण की घोषणा क्यों की ?

न्यायालय ने कहा कि, यदि केंद्र सरकार के पास टीके ही उपलब्ध नहीं थे, तो उन्होंने टीकाकरण की घोषणा क्यों की ? यदि आपके पास पर्याप्त टीके नहीं है, तो न्यूनतम प्राथमिकता निर्धारित करें । कोरोना का टीका ६० वर्ष की आयु के व्यक्तियों को प्रथम देने का निर्णय आपने क्यों लिया, यही हमारे समझ में नहीं आ रहा है ।