१९वीं शताब्दी से १९७० के दशक तक ईसाई बनना अस्वीकार करने वाले स्थानीय समुदाय के बच्चों पर अत्याचार !
न केवल ईसाई चर्च में, अपितु विद्यालय में भी बच्चों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है, यह ध्यान में रखें ! ऐसी घटनाओं के विषय में भारतीय प्रसार माध्यम, आधुनिकतावादी, निधर्मीवादी चुप्पी साधते हैं ; क्योंकि, उन्हें लगता है कि ईसाई धर्मनिरपेक्ष हैं !
कॅमलूप्स (कनाडा) : यहां के कॅमलूप्स इंडियन रेजिडेंशियल विद्यालय के परिसर में २१५ छोटे बच्चों के मृतदेह दफनाए जाने की जानकारी सामने आई है । भूमिगत वस्तुओं का शोध करने वाले रडार द्वारा ये मृतदेह पाए गए । यह विद्यालय कभी कनाडा की सबसे बडी पाठशाला थी । यहां और भी मृतदेह मिल सकते हैं ; क्योंकि विद्यालय का प्रांगण तथा कुछ अन्य क्षेत्रों का निरीक्षण अभी शेष है । १९वीं शताब्दी से १९७० के दशक तक, डेढ लाख से अधिक बच्चों को सरकारी सहायता प्राप्त ईसाई विद्यालयों में शिक्षा लेनी पडती थी । वहां के स्थानीय जनजातियों के बच्चों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए बाध्य किया जाता था । उन्हें अपनी मातृभाषा बोलने की अनुमति नहीं थी । कई बच्चों को मारपीट एवं गाली गेलोच भी की जाती थी । कहा जाता है कि, इस कालावधि में अत्याचारों के कारण ६ सहस्र बच्चों की मृत्यु हुई थी । इस विषय में कनाडा सरकार ने २००८ में क्षमायाचना की थी तथा विद्यालयों में हुए शारीरिक एवं यौन शोषण के आरोपों को स्वीकार किया था । यह विद्यालय वर्ष १९७८ में बंद हुआ । उनके द्वारा बच्चों पर किए गए अत्याचारों के लिए चर्च क्षमायाचना करें, ऐसी मांग समाज से हो रही है ।