सप्तर्षियों ने परात्पर गुरुदेवजी का जन्मोत्सव ज्येष्ठ मास के स्थान पर वैशाख मास में मनाने का बताया कारण !
सप्तर्षि कहते हैं, ‘‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की जन्मतिथि ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष है तथा वह १ जून २०२१ को आ रही है । भले ही ऐसा हो; परंतु वैशाख मास के उत्तराषाढा जन्मनक्षत्र के दिन अर्थात २ मई २०२१ को आपको गुरुदेवजी का जन्मोत्सव मनाना है ।’’
सप्तर्षि आगे कहते हैं, ‘‘इस वर्ष परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का जन्मोत्सव ज्येष्ठ मास में न मनाकर वैशाख मास में मनाना है; क्योंकि हम ऋषि-मुनियों का पंचांग कालगति के अनुसार अर्थात ब्रह्मांड में होनेवाली गतिविधियों पर आधारित होता है । मनुष्य का पंचांग भूलोक में होनेवाली गतिविधियां और उनसे संबंधित ज्योतिष के संदर्भ में इतिहास दर्शाता है ।
गुरुदेव स्वयं श्रीविष्णु के अवतार हैं, इसलिए उनके अवतारी कार्य के संदर्भ में मुहूर्त निर्धारित करनेवाले हम ॠषि-मुनि ही हैं । वर्तमान के देवलोक के अवतारी कार्य की ग्रहगति के आधार पर देवलोक के पंचांग की भांति हम सप्तर्षि ज्येष्ठ मास के स्थान पर वैशाख मास में जन्मोत्सव का मुहूर्त दे रहे हैं ।’’
– सप्तर्षि, (पू. डॉ. ॐ उलगनाथन्जी के माध्यम से) (संदर्भ : सप्तर्षि जीवनाडीवाचन क्र. १७९, दिनांक ९.४.२०२१)
संकटकाल में साधकों की रक्षा हो, इसलिए सप्तर्षियों ने परात्पर गुरुदेवजी का जन्मोत्सव १ मास पूर्व मनाने के लिए बताया !
गुरुदेवजी की जन्मतिथि वैशाख मास में होते हुए भी सप्तर्षियों ने एक मास पूर्व चैत्र मास में ही उनका जन्मोत्सव मनाने के लिए कहा है । आजकल पृथ्वी पर घोर संकटकाल चल रहा है । इस संकटकाल की तीव्रता बढने से पूर्व ही पृथ्वी को गुरुदेवजी के जन्मोत्सव में निहित कल्याणकारी स्पंदनों का संपूर्ण लाभ मिले और संकटकाल में साधकों की रक्षा हो, इसलिए सप्तर्षियों ने यह बताया है, ऐसा मुझे लगा । सप्तर्षियों के आदेश का पालन करना हम साधकों का कर्तव्य होने से उनकी आज्ञा के अनुसार हम गुरुदेवजी का जन्मोत्सव वैशाख मास के स्थान पर चैत्र मास में मना रहे हैं ।
– श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.