एलोपैथी उपचार पद्धति की आलोचना का प्रकरण !
- आईएमए के अध्यक्ष डॉ.जयलाल ने एक साक्षात्कार में डॉक्टरों को श्रेय देने के बजाय, कोरोना संक्रमण कम होने का श्रेय ईसा मसीह को दिया है । इस ईसाईयत को बढावा देनेवाले बयान के कारण क्या आय.एम.ए. उनके विरुद्ध दावा दायर करने का दुस्साहस दिखाएगी ?
- डॉ. जयलाल लंबे समय से धार्मिक द्वेष बढानेवाले वक्तव्य देते रहे हैं । क्या वे आई.एम.ए. को स्वीकार हैं ?
- आई.एम.ए. पैसे लेकर, एल.ई.डी. बल्ब, वॉल पेंट आदि प्रतिष्ठानों को ‘एंटी-बैक्टीरियल’ सर्टिफिकेट देती है । ध्यान दें कि, आई.एम.ए. इस भ्रष्टाचार के बारे में एक शब्द भी नहीं बोलती !
नई दिल्ली: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आई.एम.ए.) की उत्तराखंड शाखा ने योग ऋषि रामदेव बाबा को चेतावनी दी है कि, अगर उन्होंने एलोपैथी पर अपनी की हुई टिप्पणी के लिए अगले १५ दिनों में क्षमा नहीं मांगी, तो उनके विरोध में १,००० करोड रुपये का मुकदमा दर्ज किया जाएगा । योग ऋषि रामदेव बाबा ने कहा था कि, ‘एलोपैथी एक मूर्ख और दिवालिया विज्ञान है ।’
मेडिकल एसोसिएशन आफ इंडिया एम.ए.आई.) ने भी मांग की है कि, रामदेव बाबा ७२ घंटे के भीतर अपने पतंजलि प्रतिष्ठान की कोरोनिल किट के भ्रामक विज्ञापनों को सभी जगहों से हटा दें । पतंजलि का दावा है कि कोरोना टीकाकरण के दुष्परिणामों का मुकाबला करने में कोरोनिल कारगर है ।