कोरोना से मृत व्यक्तियों के मृत्यु प्रमाणपत्र पर कोरोना का उल्लेख क्यों नहीं है ? – सर्वोच्च न्यायालय का केंद्र सरकार से प्रश्न

क्या सरकार ऐसे लोगों के परिवारों को ४ लाख रुपए का मुआवजा दे सकती है ?

नई दिल्ली : “कोरोना से मृत व्यक्तियों के मृत्यु प्रमाणपत्र पर कोरोना का उल्लेख क्यों नहीं है ? यदि सरकार उनके परिजनों के लिए कोई योजना लागू करती है, तो उन्हें इसका लाभ कैसे प्राप्त होगा ?”, ऐसा सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा है । क्या ‘कोरोना पीडित’ के मृत्यु प्रमाणपत्र पर ‘कोरोना’ यह मृत्यु का कारण लिखा जा सकता है ? क्या सरकार ऐसे लोगों के परिवारों को ४ लाख रुपये के मुआवजे का भुगतान कर सकती है ? न्यायालय ने केंद्र सरकार को १० दिनों में इसका उत्तर देने का भी निर्देश दिया । इस पर आगामी सुनवाई ११ जून को होगी । कोरोना से मृत व्यक्तियों के परिवारों को ४ लाख रुपये मुआवजा देने की मांग करते हुए एक याचिका प्रस्तुत की गई है ।

सुनवाई के समय न्यायालय ने कहा कि, “कोरोना से बाधित व्यक्ति के मृत्यु प्रमाणपत्र पर ‘फेफडे एवं हृदय काम नहीं करते’  ऐसे अलग कारण लिखा होता है । यह मैंने स्वयं देखा है । मृत्यु का वास्तविक कारण तो कोरोना ही होता है । ऐसे में यदि सरकार ऐसे लोगों के लिए कोई योजना सिद्ध करती है, तो ‘संबंधित व्यक्ति की मृत्यु का कारण कोरोना संक्रमण है’ यह कैसे प्रमाणित होगा ? इसे प्रमाणित करने के लिए परिवारों को दौडधूप करनी पडेगी ।” इस पर सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि, ‘भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही कोरोना पीडितों के मृत्यु प्रमाणपत्र पर कारण लिखा जाता है ।’