परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का ७९ वां जन्मोत्सव !
रामनाथी (गोवा) – सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी का जन्मोत्सव अर्थात साधकों को ढेर सारा चैतन्य और आनंद पाने का पावन अवसर ! कृपावत्सल श्रीगुरु के केवल दर्शन से भयमुक्त, चिंतामुक्त होकर संकटों का भवसागर पार होता है, इसकी अनुभूति सैकडों साधकों ने ली है । महर्षि की आज्ञा से परात्पर गुरुदेवजी का जन्मोत्सव मनाया जाता है; परंतु इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण जन्मोत्सव नहीं मनाया गया । २ मई २०२१ को जन्मोत्सव के निमित्त ‘ऑनलाइन’ भावसत्संग में इससे पूर्व के जन्मोत्सवों में परात्पर गुरुदेवजी द्वारा साधकों को श्रीविष्णु और श्रीराम रूप में दिए दर्शन की दृश्यश्रव्य-चक्रिका दिखाई गई । इससे इस घोर आपातकाल में भी साधकों को पुन: एक बार गुरुदेवजी के अवतारत्व की अनुभूति लेने का सौभाग्य मिला ।
कोरोनारूपी आपातकाल के कारण सर्वत्र अशांति, अस्वस्थता और दुःखी वातावरण है । अधर्म बढने पर ईश्वर अवतार लेकर साधकों और सज्जनों की रक्षा करते हैं । दृश्यश्रव्य-चक्रिका (वीडियो सीडी) देखते हुए साधकों को उन वचनों का स्मरण हुआ । साधक विष्णुलोक का आनंद अनुभव कर रहे थे । ‘श्रीमन्नारायणस्वरूप गुरुदेव हमारे साथ हैं और कृपा का वर्षाव कर रहे हैं’, इसकी अनुभूति साधकों ने ली । यह भावसमारोह अर्थात साधकों में गुरु के प्रति श्रद्धा और भावभक्ति बढानेवाला एक अनुपम समारोह था ।
ऐसे हुआ ‘ऑनलाइन’ भावसत्संग !
१. प्रारंभ में इससे पूर्व हुए श्रीविष्णु स्वरूप परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ‘डोलोत्सव’ (झूले पर बिठाकर स्तुति करना) की दृश्यश्रव्य-चक्रिका दिखाई गई ।
२. तदुपरांत साधकों को श्रीरामरूप में परात्पर गुरुदेवजी के दर्शन हुए ।
इस जन्मोत्सव निमित्त सनातन के रामनाथी (गोवा) के आश्रम में रंगोलियां बनाकर और दीप लगाकर सादगी से सजावट की गई थी ।
इस अंक में प्रकाशित अनुभूतियां, ‘जहां भाव, वहां भगवान’ इस उक्ति अनुसार साधकों की व्यक्तिगत अनुभूतियां हैं । वैसी अनूभूतियां सभी को हों, यह आवश्यक नहीं है । – संपादक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने कभी नहीं कहा है, ‘मैं अवतार हूं या मैंने अपना अवतारी कार्य प्रारंभ किया है ।’ परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी विष्णु के अवतार हैं, ऐसा महर्षियों ने नाडीपट्टी में कहा है । साधकों का व सनातन प्रभात की संपादक समिति का महर्षियों के प्रति भाव (श्रद्धा) है, इसलिए यह विशेषांक प्रकाशित कर रहे हैं । – संपादक |