बैंगलुरु में एम्बुलेंस और दाह संस्कार के लिए ३,५०० रुपये के बजाय ६०,००० रुपये की मांग !

सरकार इस तरह की लूट पर ध्यान क्यों नहीं देती ? ऐसे समाज विरोधी लोगों के विरुद्ध कडी कार्रवाई की जानी चाहिए, जो आपातकाल में मृतकों के सिर पर लगा मक्खन खाने का काम करते हैं !

बैंगलुरु (कर्नाटक) – देश के लोगों की स्थिति कोरोना महामारी के कारण अत्यंत चिंताजनक है, वे अपने संबंधियों के प्राण बचाने के लिए पराकोटि का संघर्ष कर रहे हैं । महामारी से मरने वालों की संख्या बढ रही है एवं ऐसी कठिन घडी में यह पता चला है कि, अंतिम संस्कार करनेवाले लोग, मृतक के सिर पर लगा मक्खन खाने का काम कर रहे हैं । यह तथ्य सामने आया है कि, कर्नाटक में मत्तिकेरे में एम्बुलेंस और अंतिम संस्कार का खर्च ३,५०० रुपये होते हुए, लोंगों से ६०,००० रुपये की मांग की जा रही है । अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए ६०,००० रुपये मांगे जाने पर, विवाहित लडकी अपना मंगलसूत्र बेचने के लिए विवश हो गई ।

मत्तिकेरे में एक विवाहित महिला के पिता की मृत्यु, कोरोना के कारण घर पर हुई, किन्तु लडकी को उनकी मृत्यु हो गई, यह ध्यान में नहीं आया । वह अपने पिता को इलाज के लिए एंबुलेंस से अस्पताल ले गई । आधुनिक डॉक्टरों ने जांच करने के उपरांत सूचित किया कि वे मृत लाए गए थे । शव को शववाहिनी से ले जाकर एक निजी शवगृह में रखा गया था । उस समय, एम्बुलेंस के मालिक ने शव को रखने और दाह संस्कार के लिए ६०,००० रुपये की मांग की । वास्तव में शवगृह का दैनिक शुल्क मात्र ३,५०० रुपये है । ” यदि केवल ४०,००० रुपये का भुगतान किया, तो मैं मृत देह को फ्लाईओवर से नीचे फेंक दूंगा,” मालिक ने धमकी दी । जब एक समाचार चैनल को इस घटना की खबर मिली तो उसके प्रतिनिधि मौके पर पहुंचे । यह देखकर मालिक घबरा गया और वह १३ हजार रुपये लेकर काम करने को तैयार हो गया । (३,५०० रुपये का शुल्क होते हुए, १३००० रुपये लेना भी लूट है । ऐसे लोगों के विरुद्ध पुलिस के पास शिकायत दर्ज करा कर, उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए और कडी सजा दी जानी चाहिए । सरकार को ऐसे मामलों पर ध्यान देना चाहिए ! – संपादक) लडकी मंगलसूत्र बेचकर ६०,००० रुपये देने के लिए तैयार थी, किन्तु उसे ऐसा नहीं करना पडा ।