कुंभमेला भारत की सांस्कृतिक महानता का दर्शक ! – चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था

चेतन राजहंस

     हरिद्वार (उत्तराखंड) – ‘कुंभमेला हिन्‍दुओं के लिए विश्‍व का सबसे बडा धार्मिक पर्व है । यह पर्व भारत की सांस्‍कृतिक महानता का दर्शक और सत्‍संग (संतों का सत्‍संग) देनेवाला आध्‍यात्‍मिक सम्‍मेलन है । यह कुंभमेला सत्‍युग से प्रयाग, हरिद्वार, उज्‍जैन और नाशिक में प्रत्‍येक १२ वर्ष में होता है’, सनातन संस्‍था के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता श्री. चेतन राजहंस ने ऐसे विचार व्‍यक्‍त किए । यू ट्यूब चैनल के ‘जम्‍बो टॉक विथ निधीश गोयल’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्‍होंने ऐसा कहा ।

कुंभपर्व में गंगास्नान करने पर ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रभाव अनुभव होना

     श्री. चेतन राजहंस ने आगे कहा कि ‘विशिष्‍ट तिथि, ग्रहस्‍थिति और नक्षत्र के संयोग पर होनेवाले कुंभपर्व के समय ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रभाव प्रयाग, हरिद्वार, उज्‍जैन और नाशिक में गंगा नदी सहित अन्‍य नदियों में भी दिखाई देता है । इतना ही नहीं अपितु इस परिसर के ४५ किलोमीटर क्षेत्र के सभी जलस्रोत आकाशीय विद्युत-चुंबकीय प्रभाव के कारण चिकित्‍सकीय गुणयुक्‍त होते हैं । आधुनिक अंतरिक्ष वैज्ञानिक तथा भौतिक शास्‍त्रज्ञों ने शोध के उपरांत स्‍वीकार किया है कि कुंभ परिसर के जलस्रोत का पानी भी विद्युतरोधी पात्र में (लकडी, प्‍लास्‍टिक, कांच) रखने पर अनेक दिन वैसा ही रहता है । इससे सिद्ध होता है कि कुंभपर्व के अवसर पर एक माह होनेवाले कुंभमेले को वैज्ञानिक आधार है । ‘रुडकी आइआइटी’ ने भी इस संदर्भ में ग्रह गणित के अनुसार शोध किया है । इस कारण कुंभपर्व में गंगास्नान करने पर यह ऊर्जा सभी को मिलती है । रोगप्रतिकारक शक्‍ति में वृद्धि होने से रोग दूर होकर लोगों के जीवन में वृद्धि होती है ।

कुंभमेले में विविध नामों के अखाडे का सहभागी होना

     श्री. राजहंस ने अखाडों के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि ‘कुंभमेले में जो विविध प्रकार के साधु सहभागी होते हैं; उनके नाम नागा, बैरागी, संन्‍यासी, महात्‍यागी, उदासीन, दिगंबर, अटल, अवधूत आदि होते हैं । इन नामों से उनके अखाडे भी रहते हैं । इनमें से अनेक साधु शास्त्‍र और शस्त्‍रपारंगत होते हैं । उनके अनेक नाम अलग-अलग संप्रदायानुसार हुए, तो भी आध्यात्मिक अर्थ एक ही है ।

     शैव (दशनामी) अखाडों में ७ अखाडे होते हैं । इनमें महानिर्वाणी, अटल, निरंजनी, आनंद, जुना (भैरव), आवाहान और अग्‍नी अखाडे समावेश हैं । वैष्‍णव अखाडों में दिगंबर, निर्मोही, निर्वाणी, ये ३ वैष्‍णव अखाडे हैं । उदासीन अखाडे में उदासीन पंचायती बडा अखाडा और उदासीन पंचायती नया अखाडा, साथ ही क्‍खि समाज का निर्मल अखाडा भी उदासीन अखाडा है ।’

अखाडों द्वारा किया गया धर्मरक्षा का कार्य

     अखाडों द्वारा किए धर्मरक्षा के कार्य के संदर्भ में बताते हुए श्री. चेतन राजहंस ने कहा कि ‘हिन्‍दुओं पर इस्‍लामी आक्रामकों द्वारा अनन्‍वित अत्‍याचार किए जा रहे थे । इन आक्रमणों का प्रतिकार करने में तत्‍कालीन हिन्‍दू राजसत्ता असमर्थ सिद्ध हुई । उस समय धर्मरक्षा हेतु
साधु-संन्‍यासियों ने ही दंड उठाया था ।’