भारत घूसखोरों की राजधानी नही !

केंद्र सरकार ने रोहिंग्या घूसखोरों को छोडने की मांग का उच्चतम न्यायालय में विरोध दर्ज किया !

नई दिल्ली – भारत विश्व के घूसखोरों की राजधानी नहीं । ऐसा हम होने नहीं देंगे । सरकार कानून के अनुसार अपना काम कर रही है, ऐसा केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कहा । यह मामला जम्मू-काश्मीर की एक छावनी के १५० रोहिंग्या मुसलमानों से संबंधित है । इस छावनी से तत्काल रोहिंग्या को छोडा जाना चाहिए । अपने देश म्यानमार भेजने के केंद्र सरकार के निर्णय को स्थगिति देने की विनती याचिका के माध्यम से की गई है । इस पर केंद्र सरकार के अधिवक्ता तुषार मेहता ने छावनी के रोहिंग्या स्थानांतरित न होकर घूसखोर है, ऐसा न्यायालय को बताया । याचिकाकर्ता मोहम्मद सलिमुल्ला ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से यह याचिका प्रविष्ट की ।

सुनवाई के समय अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा, ‘‘म्यानमार में रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार के विषय में पिछले वर्ष २३ जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने निर्णय दिया था । म्यानमार की सेना ने निर्दोष लोगों की हत्या की है । उसमें लगभग ७ लाख ४४ सहस्र रोहिंग्या लोग बेघर हो गए और उन्होंने पडोसी देश में पलायन किया ।’’ (रोहिंग्यों के समर्थन में न्यायालय में ळडने वाले ऐसे अधिवक्ताओं को देश से निकाल देने की मांग किसी ने की,तो आश्चर्य नहीं लगना चाहिए ! – संपादक) उसपर मुख्य न्यायाधीश शरद बोबडे ने स्पष्ट किया कि, ‘यह याचिका भारतीय नागरिकों के लिए है, अन्य देशों के नागरिकों के लिए नहीं ’ ।