सनातन की संत पू. (श्रीमती) विजया लोटलीकरजी की पार्थिव देह का भावपूर्ण वातावरण में अंतिम संस्कार

पू. (श्रीमती) विजया लोटलीकरजी

     रामनाथी (गोवा) – मूलतः रत्नागिरी की निवासी सनातन की ९९ वीं संत पू. (श्रीमती) विजया लोटलीकरजी का १० फरवरी २०२१ को दोपहर १२.५० बजे फोंडा के निवासस्‍थान पर देहत्‍याग हुआ उनके पार्थिव देह का ११ फरवरी को अंतिम संस्कार किया गया । पू. (श्रीमती) लोटलीकर दादी के ज्येष्ठ पुत्र और सनातन के ६२ प्रतिशत आध्यात्‍मिक स्तर के साधक श्री. विजय लोटलीकर ने पू. दादी की पार्थिव देह को मंत्राग्नि द़ी ।

पू. लोटलीकर दादी की पार्थिव देह को अग्‍नि देने के उपरांत प्रतीत हुए विशिष्‍ट सूत्र

१. ‘पू. दादी की पार्थिव देह को अग्‍नि देने के उपरांत अग्‍नि की ज्‍वाला का रंग लाल दिखाई दे रहा था ।’ – कु. प्रियंका लोटलीकर (पू. दादी की पोती), सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.

२. ‘पू. दादी की पार्थिव देह को अग्‍नि देने के उपरांत उनके सिर की ओर लगभग २ मिनट तक १ से डेढ फुट ऊंचाई का पीले रंग के धनुष के आकार के द्रवपदार्थ की फुहार आ रही थी – श्री. विजय लोटलीकर (पू. दादी के पुत्र) एवं श्री. अभिनय लोटलीकर (पू. दादी का नाती), गोवा.