मेरी आत्मा में अभी भी भाजपा है; परंतु गरीबों का काम किसी ने नहीं किया !- किसान द्वारा आत्महत्या से पूर्व लिखा गया पत्र

गुजरात में पंचायत कार्यालय में फांसी लगाकर किसान की आत्महत्या

  • भाजपा के राज्य में ऐसी घटनाएं होना हिन्दुओं को अपेक्षित नहीं है !
  • देश के किसानों अथवा गरीबों के लिए काम नहीं किया जाता, उनको सहायता नहीं मिलती; परंतु धनवानों को इसका लाभ मिलता है, स्वतंत्रता के पश्चात् अभी तक के शासनकर्ताओं और प्रशासन के लिए यह लज्जाजनक !
  • राज्य सरकार को इस आत्महत्या के लिए उत्तरदायी लोगों को खोजकर उन सभी को कठोर दंड देने का प्रयास करना चाहिए !

महिसागर (गुजरात) – यहां बाकोर गांव के रहनेवाले किसान बलवंत सिंह ने पंचायत कार्यालय में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली । बलवंत सिंह बार बार शासकीय सहायता के लिए पंचायत कार्यालय में चक्कर लगाते थे; परंतु सरकारी योजना का लाभ न मिलने के कारण अन्तत: उन्होंने आत्महत्या कर ली । पुलिस को घटनास्थल से एक पत्र मिला है । जिसमें कहा है, ‘मेरी आत्मा में अभी भी भाजपा है; परंतु गरीबों का काम किसी ने नहीं किया ।

पंचायत कार्यालय

पुलिस को आत्महत्या की सूचना देने पर भी पुलिस निष्क्रिय

‘इसके लिए उत्तरदायी पुलिसवालों को बीच चौराहे पर फांसी देने की मांग करने पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए !

आत्महत्या करने से पहले बलवंत सिंह ने बाकोर पुलिस थाने में फोन किया था । यह फोन पंचायत कार्यालय से किया गया था । फोन पर उसने पुलिस कर्मचारी को बताया, ‘सरकारी कर्मचारी मेरा काम नहीं कर रहे हैं। इसिलए मैं आत्महत्या करनेवाला हूं।’तब भी पुलिस ने बलवंत सिंह की बात को गंभीरता से नहीं लिया’, ऐसा आरोप है।

गरीब होने के कारण किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला ! आत्महत्या से पूर्व लिखा पत्र

पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार बलवंत सिंह ने आत्महत्या से पूर्व लिखे पत्र में कहा है कि सेवक का अर्थ सेवा देना है; परंतु सरकारी कार्यालय में ऐसा नहीं होता । मैं एक गरीब व्यक्ति हूं और वर्षों से भाजपा पर विश्वास करता हूं । मेरी आत्मा में भाजपा है। अंत तक भाजपा के साथ रहा । मेरी मृत्यु होने पर भी मैं भाजपा पर विश्वास करता रहूंगा । पार्टी में मेरी आत्मा है; परंतु गरीब होने के कारण किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला।

बलवंत सिंह के पुत्र राजेंद्र के अनुसार उसके पिता ने स्वयं की भूमि का कुछ भाग बेचकर घर बनाने का स्वप्न देखा था। वे ५ वर्षों से ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’की सहायता पाने के लिए आवेदन दे रहे थे । इस सूची में नाम भी आ गया था ; परंतु पंचायत कार्यालय की ओर से उन्हें आर्थिक सहायता नहीं मिली, ऐसा आरोप भी उन्होंने लगाया।