नई दिल्ली – ‘मेरी देश भक्ति का उद्गम धर्म से ही होता है । मैने एक हिंदू के रुप में जन्म लिया है, इसीलिए मै एक देश भक्त हूं । इसके लिए मुझे अलग से कुछ करने की आवश्यकता नही’, ऐसा महात्मा गांधी का मत था । कोई भी हिंदू भारत विरोधी नही हो सकता । वो हिंदू है, अर्थात वह देश भक्त है । वह उसका मूलभूत स्वभाव है, ऐसा मत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम में व्यक्त किया । जे.के. बजाज और एम.डी. श्रीनिवास लिखित ‘दी मेकिंग ऑफ ट्रू पट्रीयट बैकग्राउंड ऑफ गांधी जी हिंद स्वराज’ पुस्तक के प्रकाशन के समय बोल रहे थे ।
सरसंघचालक ने आगे कहा कि,
१. गांधी ने कहा था, ‘धर्म को समझ लेने के बाद ही मैं अच्छा देश भक्त बनूंगा और लोगों को वैसा बता सकता हूं । स्वराज्य समझने के लिए स्वधर्म को समझना आवश्यक है ।’
२. हिंदू है, अर्थात वह देश भक्त होगा । वह निद्रिस्त हो सकता है, उसे जागृत करना होगा; लेकिन कोई भी हिंदू भारत विरोधी नहीं हो सकता ।
Mahatma Gandhi's 1909 work "Hind Swaraj" is grounded in ''dharma'' which is often but inadequately translated as religion, says a new book on the father of the nation https://t.co/ALh563RWO8
— The Hindu (@the_hindu) December 26, 2020
गांधी ने मुस्लिम और ईसाई धर्म नहीं स्वीकार किया !
‘गांधी को उनके अफ्रिका के मुसलमान मालिक ने, और उनके ईसाई सहयोगियों ने धर्म परिवर्तन करने के लिए दबाव बनाया था; लेकिन गांधी इस दबाव के आगे नहीं झुके । इसके बाद वे १९०५ से समर्पित हिंदू बने’, ऐसा दावा इस पुस्तक में किया गया है । (‘गांधी ने हिंदुओं की जितनी हानि हिंदु धर्मी होते हुए की, उतनी वे ईसाई या मुसलमान बन कर नहीं कर पाते’, ऐसा हिंदुओं को लगने में क्या आश्चर्य है ? – संपादक)