आपात्काल में हिंदू ऐसी श्रद्धा रखकर ईश्वर के अनुसंधान में रहने का प्रयास करते हैं, तो ईश्वर उनकी रक्षा अवश्य करेंगे; लेकिन उसके लिए अभी से प्रयास करना चाहिए !
कर्णावती (गुजरात) – सूरत की ३६ वर्षीय महिला दयाबेन भरतभाई बुधेलिया की ब्रेन में गांठ होने के कारण उसे निकालने के लिए सफलता से ‘ओपन सर्जरी’ की गई । उन्हे ‘अवेक एनेस्थेसिया’ दिया गया था । इस कारण वे सर्जरी के समय जागी थी । सवा घंटे की सर्जरी में वे सतत श्रीमद्भगवत्गीता के श्लोक का पठन कर रहीं थीं । इस विषय में सर्जरी करने वाले डॉ. कल्पेश शहा ने बताया, ‘मैने अब तक ९ सहत्र से अधिक ‘ओपन सर्जरी’ की है; लेकिन गीता के श्लोक का पठन करने वाला मरीज पहली बार देखा । इस सर्जरी के बाद दयाबेन को ३ दिनों में ही डिस्चार्ज कर दिया गया ।’ सर्जरी करते समय गीता के श्लोक पठन करने की अनुमति दयाबेन ने डॉक्टरों से करने पर उनको अनुमति दी गई ।
सर्जरी के समय भगवान श्रीकृष्ण समीप खडे हैं, ऐसा लगा ! – दयाबेन के पति
दयाबेन के पति भरतभाई ने बताया कि, हम इस सर्जरी के विचार से डर गए थे; लेकिन हमारी भगवान पर श्रद्धा थी । जब दयाबेन सर्जरी के समय श्लोक का पठन कर रही थीं, तब ऐसा लगा कि, स्वयं भगवान श्रीकृष्ण उनके समीप आकर खडे हुए हैं । दयाबेन ने बताया कि, गीता का ज्ञान मुझे बचपन में ही मा-पिता से मिला था । मेरी भगवान पर पूर्ण श्रद्धा है । मैने यह संस्कार अपने बच्चों पर भी किए हैं ।