जीवन आनंदी एवं चैतन्‍यमयी करने के लिए मार्गदर्शन करनेवाली सनातन की ग्रंथमाला : आचारधर्म

जीवन आनंदी बनकर उसका मार्गक्रमण ईश्‍वरप्राप्‍ति की ओर हो, इसके लिए हिन्‍दू धर्म में विविध आचार बताए गए हैं । हिन्‍दू अब कालानुसार यह आचार भूल गए हैं, इसलिए उनका अधःपतन हुआ है । यह पतन रोकने के लिए यह ग्रंथमाला पढें !

आचारधर्मकी प्रस्‍तावना

कलियुग का मानव अधर्माचरण की ओर क्‍यों मुडा ?
नामजप से धर्माचरण की गुुणवत्ता कैसे बढती है ?
कर्म ईश्‍वर को अर्पण करने से आचरणशुद्धि कैसे होती है ?
आचारधर्म का पालन करने से कौनसे लाभ होते हैं ?

स्नानपूर्व आचारोंका अध्‍यात्‍मशास्‍त्र

 

ब्राह्ममुहूर्त पर उठने का क्‍या महत्त्व है ?
ब्रश से नहीं, उंगली से दंतधावन उचित क्‍यों ?
तेंदू के काष्‍ठ से दंतधावन क्‍यों न करें ?
झाडू कमर से झुककर लगाना उचित क्‍यों ?

स्नान से लेकर सांझतक के आचारोंका अध्‍यात्‍मशास्‍त्रीय आधार

स्नान करते समय पीढे पर पालथी मारकर क्‍यों बैठें ?
संध्‍यासमय घरमें दीप जलाने का शास्‍त्र क्‍या है ?
स्नान के समय श्‍लोकपाठ / नामजप क्‍यों करें ?
उकडूं बैठकर कपडे क्‍यों न धोएं ?

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