१. व्यक्ति में साधनाबीज का रोपण करते हुए व्यक्ति को मनुष्यजन्म के लक्ष्य का भान करानेवाला ‘सनातन प्रभात’ !
‘सनातन प्रभात’ के कारण पाठकों को अनेक स्तरों पर लाभ मिल रहे हैं । ‘सनातन प्रभात’ में प्रकाशित पाठकों की अनुभूतियों से यह बात तो ध्यान में आती ही है; परंतु ‘सनातन प्रभात’ के पढने से सबसे बडा लाभ यह है कि उससे, ‘मनुष्यजन्म का लक्ष्य ईश्वरप्राप्ति करना है’, यह बात पाठकों के समझ में आती है । ‘सनातन प्रभात’ से पाठकों को साधना की दिशा तो मिलती ही है, साथ ही साधना के प्रत्येक चरण की बारीकियां भी उन्हें स्पष्ट होती हैं । इसमें प्रकाशित पाठकों की अनुभूतियां, आध्यात्मिक स्तर पर उन्नत साधकों द्वारा किए गए विशेषतापूर्ण प्रयास, साथ ही संतों के मार्गदर्शन पर लेख इत्यादि पढकर पाठकों को अमूल्य मार्गदर्शन मिलता है । इसमें ‘गृहस्थ जीवन में रहकर किस प्रकार साधना की जा सकती है ?’, साथ ही ‘नित्य प्रत्येक क्रियाकलापों का अध्यात्मिक उद्देश्य कैसे साध्य करना चाहिए ?’, उदाहरण के साथ इसकी भी सीख दी जाती है ।
२. अश्रद्धा की ओर झुक रहे
समाजमानस पर श्रद्धा का महत्त्व अंकित करना
आज के कलियुग में मनुष्य स्वयं को अधिकाधिक बुद्धिजीवी समझकर अश्रद्धा की ओर झुकता चला जा रहा है । ऐसी स्थिति में व्यक्ति को शास्त्रसम्मत उपासना बताकर उसके मन में उसके अनुसार कृत्य करने की रुचि उत्पन्न करने का महत्त्वपूर्ण कार्य ‘सनातन प्रभात’ कर रहा है । ‘सनातन प्रभात’ ने सहस्रोें साधकों के साथ ही सहस्रों पाठकों के मन में देवता एवं धर्म के प्रति श्रद्धा बढाई है । ऐसा श्रद्धालु और सात्त्विक समाज ही देवता, धर्म एवं राष्ट्र के प्रति महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है ।
३. ‘सनातन प्रभात’ को पढतेे समय
कष्टदायक आवरण निकलने की अनुभूति होना
‘सनातन प्रभात’ विविध स्तरों की बातें तो अवगत कराता ही है, साथ में ‘आध्यात्मिक कष्ट क्या होते हैं ?’, इसका भी ज्ञान कराता है । उससे पाठकों को ‘शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक कष्टों पर क्या उपाय करने चाहिए ?’, यह ध्यान में आकर उन्हें उस संदर्भ में अनुभूतियां भी प्राप्त हो रही हैं । कुछ पाठकों ने ‘सनातन प्रभात का वाचन करते समय ‘स्वयं पर उपाय होने और उससे उनके सर्व ओर निहित कष्टदायक आवरण निकलने’ का भी अनुभव किया है ।
४. पाठकों के मन पर स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन का महत्त्व अंकित कर,
‘जीवन को आनंदमय कैसे बनाना चाहिए ?’ इसकी सीख देनेवाला ‘सनातन प्रभात’ !
‘सनातन प्रभात’ के कारण स्वभावदोष एवं अहं के निर्मूलन की प्रक्रिया समझ में आने से अनेक पाठक उसे अपनाने का प्रयास कर रहे हैं, जो ‘सनातन प्रभात’ की बडी उपलब्धि है । उसके कारण अनेक लोगों के जीवन में निहित व्यक्तिगत, साथ ही पारिवारिक समस्याओं का समाधान होकर वे जीवन में आनंद का अनुभव कर पा रहे हैं । ‘सनातन प्रभात’ एक ऐसी ‘संजीवनी’ है, जो त्रस्त, पीडित, ऊबे हुए और निराश जीवन को भाव, भक्ति, चैतन्य और आनंद प्रदान करती है ।
‘सनातन प्रभात’ के संस्थापक-संपादक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने २१ वर्ष पूर्व अनेक उद्देश्यों को सामने रखकर तथा अपने द्रष्टापन के कारण ‘सनातन प्रभात’ आरंभ किया । इसके द्वारा उन्होंने पाठकों को राष्ट्ररक्षा एवं धर्मजागृति के कार्य में सम्मिलित किया । ईश्वरीय राज्य की स्थापना के कार्य में महत्त्वपूर्ण योगदान देनेवाले ‘सनातन प्रभात’ को तथा उसकी निर्मिति करनेवाले परात्पर गुरु डॉक्टरजी के चरणों में शतशः नमन !’
५. व्यापक स्तर पर तथा प्रभावशाली
धर्मप्रसार करनेवाला ‘सनातन प्रभात’ !
अनेक कार्यकर्ता प्रतिदिन १० घंटे सेवा कर जितना धर्मप्रसार नहीं कर सकते, ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक उससे अनेक गुना परिणामकारक धर्मप्रसार कर रहे हैं । इन नियतकालिकों से व्यापक स्तर पर और प्रभावशाली धर्मप्रसार हो रहा है ।
– (श्रीसत्शक्ति) श्रीमती बिंदा सिंगबाळ, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (२०.४.२०१९)
‘३३ पाठकों द्वारा ६० प्रतिशत और उससे अधिक
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पाठकों में राष्ट्रप्रेम जगानेवाले, उन्हें धर्मसंजीवनी प्रदान करनेवाले एवं अध्यात्ममार्ग
का अनुसरण करनेवालों का मार्गदर्शन करनेवाले सर्वांगस्पर्शी ‘सनातन प्रभात’ को घर-घर पहुंचाएं !
लोकमान्य टिळक ने अपनी पत्रकारिता से संदेश दिया कि ‘पत्रकारिता समाज, राष्ट्र एवं धर्म के लिए समर्पित भाव से की गई तपस्या है ।’ आज जहां समाज में राष्ट्रनिष्ठा एवं धर्मप्रेम का पतन हो रहा है, ऐसी स्थिति में लोकमान्य टिळक द्वारा स्थापित आदर्शों के अनुसार पत्रकारिता चलाने की आवश्यकता पड गई है । दुर्भाग्यवश आज की पत्रकारिता अर्थार्जन के लिए की जाती है । सत्य समाचार प्रकाशित कर राष्ट्र और धर्म के प्रति समाजमानस में जागरण करनेवाले समाचार-पत्र आज कुछ ही बचे हैं । राष्ट्ररक्षा और धर्मजागृति का व्रत लेकर आदर्श पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर सनातन प्रभात का नाम इस श्रेणी में शीर्ष पर है ।
‘सनातन प्रभात’ के अनेक पाठक अपने संबंधियों, स्नेहियों और परिचितों को इस नियतकालिक का महत्त्व बताकर उन्हें पाठक बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं । पाठकों ने सनातन प्रभात के नए पाठक बनाने हेतु कुछ विशेष प्रयास किए हों या इस नियतकालिक की पाठकसंख्या बढाने हेतु उन्हें कुछ विशेषतापूर्ण योजनाएं सूझी हों, तो वे हमें [email protected] इस संगणकीय पते पर सूचित करें । (२१.४.२०१९)
– (श्रीसत्शक्ति) श्रीमती बिंदा सिंगबाळ, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.