‘सनातन प्रभात’ की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का संदेश
पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ की २१ वर्षों की तपस्या आज पूरी हुई है । संतों द्वारा दिए गए आशीर्वाद तथा ‘सनातन प्रभात’ से संबंधित साधकों द्वारा किए गए असीम त्याग के कारण ‘सनातन प्रभात’ हिन्दू समाज में निरंतर जागृति ला रहा है । इसके लिए चाहे कितनी भी कृतज्ञता व्यक्त की जाए, वह अल्प ही है ।
‘सनातन प्रभात’ का ध्येयवाक्य है – ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’ । वह केवल शोभा के लिए नहीं, अपितु क्रियान्वयन के लिए है । ‘सनातन प्रभात’ का प्रत्येक पाठक हिन्दू राष्ट्र की वैचारिक शक्ति है । इस शक्ति का क्रियाशील होना समय की मांग है ।
‘सनातन प्रभात’ ने समय-समय पर भविष्य में आनेवाले अनिष्ट काल से हिन्दुओं को अवगत किया था । आज महामारी, साथ ही आंतरिक और बाह्य युद्धजन्य स्थिति को देखते हुए सभी को यह ध्यान में लेना चाहिए कि ‘सनातन जो बता रहा था, वह अनिष्ट काल यही है ।’ अर्थात अनिष्ट से ही अच्छा निकलता है । इसके अनुसार आगे जाकर इसी से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होनेवाली है, इसके प्रति आश्वस्त रहें ।
मेरे गुरु संत भक्तराज महाराजजी के चरणों में मैं यह प्रार्थना करता हूं कि ‘हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के लिए सभी को अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार योगदान देने तथा ‘सनातन प्रभात’ के ध्येयवाक्य को सार्थक बनाने की सद़्बुद्धि मिले ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक-संपादक, ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक