केरल की सिस्टर अभया हत्या के संदर्भ में २८ वर्ष बाद पादरी और नन दोषी !

सीबीआई न्यायालय का निर्णय !

  • प्रेम और शांति के पुजारी कहलाने वाले पादरी और नन का सच्चा स्वरूप जानिए ! चर्च और उससे संबंधित संस्थाएं अनाचार के अड्डे हैं, इसका एक और उदाहरण ! विदेशों में जिस प्रकार चर्च और पादरियों के ऊपर कार्यवाहियां हो रही हैं, उसी प्रकार भारत के चर्चों में हो रहे अपराध बाहर लाने के लिए सरकार को प्रयास करना आवश्यक !
  • स्वयं के अनैतिक कृत्य छुपाने के लिए एक निरपराध नन की हत्या करनेवाले पादरी और नन के विषय में चर्च चुप क्यों हैं ? नन का बलात्कार करने वाला पादरी फ्रँको मुलक्कल का बचाव करने वाले चर्च इस संदर्भ में कुछ बोलेंगे ऐसी आशा न रखें !
  • देर से न्याय मिलना अन्याय है, ऐसा सामान्य जनता को लगता है ! इस संदर्भ में उदाहरणों (सबूतों) के साथ छेडछाड कर अपराधी वृत्ति के पादरी और नन को बचाने का अंत तक प्रयास हुआ । ऐसे लोगों पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए !
  • हिन्दुओं के संतों पर झूठे आरोप लगाकर उनको बदनाम करने वाले आधुनिकतावादी और निधर्मीवादी अब चुप क्या हैं ?

तिरुवनंतपुरम – सीबीआई न्यायालय ने २८ वर्ष पहले हुई सिस्टर अभया हत्या के संदर्भ में पादरी थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को दोषी करार दिया है । कोट्टायम के एक कान्वेंट में सिस्टर अभया रहती थी । २७ मार्च १९९२ की सुबह ४.१५ पर सिस्टर अभया पानी पीने के लिए रसोई में गई तो उन्होंने पादरी फूथराकयाल, पादरी थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को आपत्तिजनक स्थिति में देखा था । उस समय ‘स्वयं के कुकृत्य विश्व के सामने आएंगे’ यह सोचकर तीनों ने उसकी हत्या कर मृतदेह कुंए में फेंक दी । इस संदर्भ में आरोपी पादरी फूथराकयाल को सबूतों के आभाव में २ वर्ष पहले निर्दोष मुक्त कर दिया गया था ।

न्यायालय ने निर्णय देते समय कहा कि इन दोनों के विरुद्ध पाए गए सबूतों के आधार पर उनके ऊपर आरोप तय हुए हैं । अभी वे दोनों न्यायालयीन हिरासत में हैं । विशेष सीबीआई न्यायालय के न्यायाधीष सनल कुमार ने इस संदर्भ में निर्णय दिया, इसमें २३ दिसंबर को सजा सुनाई जाएगी ।

अपराध छुपाने के लिए सबूत मिटाए !

पादरी थॉमस कोट्टूर कोट्टायम के बीसीएम विद्यालय में मानसशास्त्र पढाते थे । वह तत्कालीन बिशप के सचिव वैâथोलिक डायोसेसन के चांसलर भी थे । सिस्टर और अभया एक ही होस्टल में रहती थीं । इन दोनों के विरुद्ध में अपराध छुपाने के लिए सबूतों को मिटाने का आरोप लगाया गया है । सिस्टर अभया को न्याय मिलने के लिए एक समिति की स्थापना की गई थी । इस समिति के एकमात्र जीवित सदस्य और मानवाधिकर कार्यकर्ता जोमोन पुथेनपुराकल ने कहा, ‘‘सिस्टर अभया को अन्तत: न्याय मिला । अब उनकी आत्मा को शांति मिलेगी । आपके पास पैसा और असीमित अधिकार होने पर भी, आप न्याय से खेल नहीं सकते, इस संदर्भ में यह प्रत्यक्ष दिखाई दिया है ।’’

क्राईम ब्रांच से संबंधित लोगों पर कार्यवाही करें !

इस संदर्भ में प्राथमिक जांच पुलिस ने और बाद में क्राईम ब्रांच ने की । ‘सिस्टर अभया ने आत्म हत्या की’, ऐसी रिर्पोट प्रस्तुत की गई । इसके उपरांत बडे पैमाने पर विरोध होने पर यह प्रकरण सीबीआई को सौंपा गया ।

सबूतों से छेडछाड कर अपराधियों को बचाने का प्रयास करने वालों पर कार्यवाही होनी चाहिए ! इस संदर्भ में पुलिस और क्राईम ब्रांच किसके कहे अनुसार काम कर रही थीं, गहराई से इसकी जांच होना आवश्यक है ।