क्या अन्य धर्मी के मंदिर में प्रवेश करने पर आकाश गिर जाएगा ? – कर्नाटक उच्च न्यायालय का प्रश्न
बेंगलुरू (कर्नाटक) – कर्नाटक उच्च न्यायालय ने गैर-हिंदुओं को कर्नाटक हिन्दू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ विभाग के कार्यालयों में धारा ७ के तहत काम करने की अनुमति न दी जाए; इससे संबंधित दो याचिकाएं खारिज कर दी हैं । अदालत ने यह भी पूछा, “यदि अन्य धर्मी मंदिरों में प्रवेश करते हैं, तो क्या आकाश गिर जाएगा ?”
‘Hindu religion was never so narrow’: Karnataka HC dismisses pleas seeking strict implementation of section of Act that requires Temple officials to be Hinduhttps://t.co/rDAqKdj25M
— OpIndia.com (@OpIndia_com) December 14, 2020
१. न्यायालय ने कहा कि ‘देश में संविधान का अस्तित्व है । हम उस याचिका के बारे में नहीं सोच सकते, जो हमें १०० वर्ष पीछे ले जाना चाहती है । हिन्दू धर्म कभी इतना संकीर्ण नहीं रहा । हिन्दू धर्म में ऐसे लोग नहीं हैं, जिनकी संकीर्ण मानसिकता है । यदि आप देश में कहीं भी जाते हैं, तो आपको कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे, जहां सरकारी अधिकारी जो हिन्दू नहीं हैं, हिन्दू त्योहारों के दौरान प्रशासन का कार्य करते हैं ।’
२. हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता, अमृतेश एन.पी. ने याचिका दायर की थी । मंगलूरु के डिप्टी कमिश्नर ऑफ रिलीजियस इंस्टीट्यूशंस एंड चैरिटीज, ए.बी. इब्राहिम का नाम महालिंगेश्वर मंदिर में आयोजित वार्षिक महोत्सव की निमंत्रण पत्रिका में देखने के बाद अधिवक्ता अमृतेश ने यह याचिका दायर की थी ।
३. एक अन्य याचिका, ‘भारत पुर्नोत्थान ट्रस्ट’ द्वारा दायर की गई थी । इसमें उन्होंने आयुक्त कार्यालय में मोहम्मद अली खान को अधीक्षक के रूप में नियुक्त करने पर आपत्ति जताई थी ।