सभी धर्मों के लिए एक ही आधार पर तलाक की मांग करने वाली उच्चतम न्यायालय में याचिका


नई दिल्ली – अंतरराष्ट्रीय समझौते और भारतीय संविधान का सम्मान करते हुए देश के सभी नागरिकों के लिए तलाक एक ही आधार पर देना चाहिए, ऐसी मांग करने वाली याचिका भाजपा के नेता अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अधिवक्ता पिंकी आनंद के द्वारा उच्चतम न्यायालय में दी । उस पर न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर उनका मत प्रस्तुत करने को कहा है । वर्तमान में हिंदु, सिख, बौद्ध और जैन धर्मियों को हिंदु विवाह कानून के अनुसार तलाक दिया जाता है, और मुसलमान, पारसी और ईसाई धर्मियों को विशेष विवाह कानून के अनुसार तलाक दिया जाता है । परदेसी व्यक्ति से विवाह होने पर ‘परदेसी विवाह कानून के अंतर्गत’ तलाक ले सकते हैं । हिंदु विवाह कानून के अनुसार बालविवाह, कोड, नपुंसकता आदि कारणों के लिए तलाक दिया जाता है; लेकिन यही कारण अन्य धर्मों के तलाक लेने में नहीं है ।

याचिका में कहा गया है कि, पति-पत्नी को मिलने वाला गुजारा भत्ता और निर्वाह भत्ता के लिए समान कानून होना चाहिए । उसमें धर्म, जाति, लिंग, वंश के आधार पर भेदभाव नही करना चाहिए ।