श्रीलंका में कोरोना से मृत व्यक्तियों का अग्नि संस्कार किए जानेपर मुसलमानों द्वारा फिर विरोध !

  • जो केवल धर्म के आधार पर प्रकृति और मनुष्य के हितों का विरोध करते हैं, वे समाज का क्या हित करेंगे ?

  • हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार, जब किसी शव पर अग्निसंस्कार किया जाता है, तो उसमें विद्यमान सभी प्रकार के रोगों के विषाणू स्थायी रूप से नष्ट हो जाते हैं और अनिष्ट शक्तियों का भी कष्ट नहीं होता। अग्निसंस्कार के कारण भूमि की भी बचत होती है। इसके विपरीत भूमि में गाडने से अनेक समस्याएं उत्पन्न होती हैं !

कोलंबो (श्रीलंका) –  श्रीलंका की सरकार ने कोरोना से मृत सभी लोगों का अग्नि  संस्कार करने का आदेश दिया है। इसलिए हिन्दुओं के साथ साथ, बौद्ध, ईसाइयों और मुसलमानों के शवों का अग्निसंस्कार किया जा रहा है। अब फिर से उसे मुसलमानों द्वारा विरोध किया जा रहा है। अब तक कोरोना से पीडित १५ मुसलमानों के शवों पर अग्नि संस्कार किया गया है। इसमें एक २० दिन का बालक भी था।

इसलिए अब इस निर्णय का बडी मात्रा में विरोध हो रहा है। इसके पूर्व, इस निर्णय के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में भी एक याचिका प्रविष्ट की गई थी; परंतु न्यायालय ने इसे निरस्त कर दिया था।

१. जब अप्रैल माह में कोरोना संक्रमण बढ़ गया था, तब बौद्ध भिक्षुओं ने ही मांग की थी कि कोरोना से मृत व्यक्तियों पर अग्निसंस्कार किया जाए । इस संदर्भ में यह दावा किया गया था कि शवों को दफन् करने पर भूजल दूषित होने के कारण कोरोना संक्रमण अधिक फैल सकता है।

२. एक प्रश्न यह भी उपस्थित हुआ है कि यदि श्रीलंका के नागरिक की विदेश में मृत्यु हो जाती है तो उसे क्या करना चाहिए। श्रीलंका ऐसे शवों को अपने देश में लाने की अनुमति नहीं दे रही है। सरकार अब इन शवों को दफनाने के लिए मालदीव सरकार से बातचीत कर रही है।