गुजरात के २१४ मे से ६२ अस्पतालों के पास ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ नही ! – उच्चतम न्यायालय ने गुजरात सरकार को डांटा।

देश के सभी राज्यों को कोविड अस्पतालों में सुरक्षा के विषय में शपथ पत्र प्रस्तुत करने का आदेश

अस्पतालों की सुरक्षा के संबंध में इतनी लापरवाही होती है और उस ओर सभी पार्टियों के शासनकर्ता और प्रशासन दुर्लक्ष करते हैं, यह केवल भारत में ही हो सकता है ! न्यायालय ने इससे संबंधित दोषियों को कारागृह में डालने की सजा देनी चाहिए, ऐसा जनता को लगता है !


नई दिल्ली – गुजरात के कोविड अस्पतालों की सुरक्षा को लेकर सरकार द्वारा प्रस्तुत किए शपथ पत्र पर उच्चतम न्यायालय ने सरकार को डांट लगाते हुए आग से रक्षा करने के उपायों पर प्रश्न चिन्ह लगाया है । गुजरात के २१४ मे से ६२ अस्पतालों के पास ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ नही । इसका क्या अर्थ निकाला जाए ? अनापत्ति प्रमाण पत्र नही होगा, तो सुरक्षा नियमों का पालन कैसे किया जा सकता है ? ऐसा प्रश्न पूछते हुए देश के अन्य राज्यों को भी कोविड अस्पताल में आग से संरक्षण की उपाय योजना के विषय में रिपोर्ट देने का आदेश न्यायालय ने दिया है । गुजरात मे राजकोट के एक अस्पताल में लगी आग में ६ लोगों की मृत्यु हो गया थी । इस पृष्ठभूमि पर न्यायालय ने देश के सभी अस्पतालों में कोरोना की परिस्थिति का सामना करने के संबंधित विषयों पर स्वत: ध्यान दिया था । साथ ही केंद्र और गुजरात सरकार से भी रिपोर्ट मांगी थी । इस पर १८ दिसंबर को अगली सुनवाई होने वाली है ।

१. न्यायालय ने सुनवाई के समय, ‘कोविड अस्पतालों में सुरक्षा की उपाय योजना है, इस विषय में गुजरात सरकार ने शपथ पत्र में जानकारी दी है क्या ? राजकोट अस्पताल को १६ नोटिस भेजी गई; लेकिन कोई उत्तर नही मिला ।

२. मास्क का प्रयोग और सामाजिक अंतर आदि के विषय में वर्तमान जानकारी क्या है, ऐसा न्यायालय द्वारा पूछने पर सोलीसिटर जनरल ने बताया कि, नियमों का उल्लंघन करने पर राज्य सरकार दंड दे रही है । बिना मास्क मामले में गुजरात सरकार ने ९० करोड रुपए का दंड वसूल किया है ।

३. इस पर न्यायालय ने कहा कि, राज्य में बडे पैमाने पर नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है,यह ध्यान में आ रहा है । बडी संख्या में लोग विवाह समारोह में सम्मिलित हो रहे हैं और मास्क का प्रयोग भी नहीं कर रहे हैं ।

४. सोलिसिटर जनरल ने कहा, ‘अब विवाह का सीजन समाप्त हुआ है, अब स्थिति में सुधार होगा ।’ इस पर न्यायालय ने कहा,‘विदेशी पर्यटकों का कोई विशेष सीजन नही होता है । राजकीय सभाओं में भी नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है ।’