जब तक पुलिस बल के शारीरिक और मानसिक तनाव में होने की स्थति में बदलाव नहीं होता, तब तक कानून सुव्यवस्था बनाए रखना संभव नहीं ! – मद्रास उच्च न्यायालय

अब तक के सभी दलों के शासक, पुलिस की इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं । यदि न्यायालय इसे बदलने के लिए पहल करती है, तभी कुछ बदलाव होगा ; जनता ऐसा सोचती है !

मद्रास उच्च न्यायालय

मदुरै (तमिलनाडु) – पुलिस बल शारीरिक और मानसिक तनाव में है । कर्मचारियों को प्राय: बच्चों के जन्मदिन या विवाह, आदि, पर अवकाश से वंचित रखा जाता है, इसलिए कई लोग आत्महत्या करने जैसे भावनात्मक निर्णय लेते हैं । मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा है कि, जब तक पुलिस को बेहतर सुविधाएं नहीं दी जाती हैं, उनके कल्याण का ध्यान नहीं रखा जाता और उनका मनोबल नहीं बढ़ाया जाता है, तब तक कानून और सुव्यवस्था कायम रहना, अपराध को रोकना या अपराध को उजागर करना बहुत कठिन होगा । मद्रास उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें रिक्त पदों को भरने, निरीक्षकों के वेतन में वृद्धि और कल्याणकारी सुविधाएं देने की मांग की गई है । न्यायालय ने याचिका पर अंतरिम आदेश देते हुए यह विचार व्यक्त किए हैं । न्यायालय ने सरकार से १८ बिंदुऒं पर जानकारी मांगी है । उसी प्रकार न्यायालय ने यह जानकारी भी मांगी है कि, पिछले १० वर्षों में कितने पुलिस कर्मियों ने आत्महत्या की है । न्यायालय ने ये सब जानकारी १७ दिसंबर तक साझा करने के निर्देश सरकार को दिए हैं ।

न्यायालय ने कहा कि, पुलिस का कोई संघ न होने के कारण, उनके प्रश्न प्रकाश में नहीं आते । पुलिस कर्मियों को प्राथमिक शिक्षकों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है । कई बार पुलिस को २४ घंटे काम करना पडता है । अन्य सरकारी कर्मचारी सप्ताह में ५ दिन काम करते हैं ; लेकिन पुलिस को एक दिन का भी अवकाश नहीं मिलता है । पुलिस के पास तनाव प्रबंधन की कोई योजना नहीं है । इसके परिणामस्वरूप, पुलिस को अपनी नौकरी छोडना या आत्महत्या जैसे चरम कदम उठाने पडते हैं ।