फ्रांस में मुसलमानों के उपर बोलने वाले पाकिस्तानी नेता, चीन में उइगर मुसलमानों पर मौन हैं !
जिसके पास अधिकार है, वही डांटे, तो उचित होता है; परंतु पाकिस्तान जैसे मोटी चमडी के देश पर इसका कोई परिणाम नहीं होगा, यह भी सुनिश्चित है !
इस्लामाबाद (पाकिस्तान) – फ्रांस में सरकार कट्टरपंथी मुसलमानों पर लगाम लगाने के लिए कानून बना रही है । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, इमरान खान ने पैगंबर मोहम्मद के व्यंगचित्र का समर्थन करने के लिए फ्रांसीसी राष्ट्रपति, इमैनुएल मैक्रॉन की आलोचना की है । इस पर पाकिस्तानी पत्रकार, कुंअर खुलदने शाहिद ने इमरान खान को आईना दिखाया है । शाहिद ने कहा, “इमरान खान, जो फ्रांस की आलोचना करता है, चीन में उइगर मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार पर चुप है ।”
पत्रकार शाहिद ने कहा है कि,
१. पाकिस्तानी नेता फ्रांस के मुसलमानों के प्रति अधिक आकर्षित हैं ; लेकिन दूसरी तरफ, वे उइगर मुसलमानों के बारे में चुप हैं । वे यह नहीं देखते हैं कि फ्रांस में इस्लाम तेजी से बढ़ रहा है । वर्ष १९७१ में वहां केवल ३३ मस्जिदें थीं, किंतु आज २५०० मस्जिदें हैं । (इसी कारण आज फ्रांस को जिहादी आतंकवादियों और चरमपंथियों से खतरा है । – संपादक)
Mosques in🇫🇷(1971)=33
Mosques in🇫🇷(2020)=2500Temples in🇵🇰(1947)=428
Temples in🇵🇰(2020)=20Islamophobic France should learn religious freedom from pluralistic Pakistan, whose leaders are just as capable of finding facts as they're of finding their spinehttps://t.co/WT54zLhZGq
— Kunwar Khuldune Shahid (@khuldune) November 24, 2020
२. यह खेद की बात है कि पाकिस्तान अन्य धर्मों को बर्दाश्त नहीं करता । पाकिस्तान में अल्पसंख्यक धार्मिक स्थलों की संख्या घट रही है । देश में अहमदिया मुसलमानों के साथ भेदभाव किया जा रहा है । हर साल एक हजार लोगों के इस्लाम में धर्मांतरित होने के साथ, क्या पाकिस्तान को लगता है कि वह धार्मिक स्वतंत्रता पर फ्रांस को सलाह दे सकता है ?
पाकिस्तान के मंत्री का पाखंड !पाकिस्तान के मानवाधिकार मंत्री, शिरीज़ मज़ारी ने एक झूठी खबर के लिंक को ट्वीट किया था । उसने कहा, “फ्रांस में मुसलमान बच्चों को एक पहचान संख्या दी जाएगी जिससे उन्हें पहचाना जायेगा ।” मजारी ने इस घटना की तुलना यहूदियों से की थी । उन्होंने कहा था कि, जिस तरह से नाजियों ने यहूदियों को सताया था, फ्रांस की सरकार वहां के मुसलमानों पर कुछ वैसे ही अत्याचार करने की कोशिश कर रही है ; यद्यपि, फ्रांसीसी दूतावास ने आरोपों को झूठा बताया व उनका खंडन किया था । मजारी ने ट्वीट को हटा दिया था ; किन्तु उसने फिर से पूछा , “यदि फ्रांस में सार्वजनिक स्थान पर एक ईसाई नन उनका पहनावा पहन सकती है, तो मुसलमान महिला हिजाब क्यों नहीं पहन सकती ?” फ्रांस में सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक वेशभूषा का उपयोग सभी के लिए निषिद्ध है । मजारी ये जानते हुए भी इस बात कैसे अनजान बन रहे हैं ? जिन बातों को लेकर फ्रांस को लक्ष्य किया जा रहा है, वे इस्लामिक देशों में पहले ही वर्जित हैं । इनमें प्रमुख बिंदुओं में से एक यह है कि, मस्जिदों और इमामों को अब फ्रांस सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाएगा । इस्लामिक देशों में पहले से ही ऐसा है । |