न्यायाधीशों को यौन संवेदनशीलता का ज्ञान देना आवश्यक ! – एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा बलात्कार पीडिता से राखी बंधवाने की शर्त पर आरोपी को जमानत देने का प्रकरण

एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल

नई देहली – न्यायमूर्तियों को यौन संवेदनशीलता का ज्ञान देना आवश्यक है । यह संवेदनशीलता होगी, तो न्यायाधीश यौन अत्याचार के प्रकरण अधिक संवेदनशीलता से देखेंगे । राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर न्यायिक अकादमी में इस विषय के कार्यक्रमों का समावेश होना चाहिए, ऐसा मत एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायालय में व्यक्त किया । मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने जुलाई महीने में बलात्कार के अपराध के आरोपी को पीडित लडकी से राखी बंधवाने की शर्त पर जमानत दी है । इस प्रकरण में ९ महिला अधिवक्ताओं ने उच्चतम न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है । इस पर न्यायालय ने एटर्नी जनरल को अपना मत प्रस्तुत करने हेतु कहा था । इसके अनुसार वेणुगोपाल ने अपना मत न्यायालय में प्रस्तुत किया । ‘ऐसी शर्त कानून के विरोध में है’, ऐसा इन महिला अधिवक्ताओं ने अपनी याचिका में कहा है ।

१. वेणुगोपाल ने कहा कि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों ने इस प्रकरण में व्यक्त किया हुआ मत निंदनीय है । इस प्रकरण में न्यायाधीशों ने भावनावश यह निर्णय दिया है ।

२. एटर्नी जनरल का मत सुनने के बाद न्यायालय ने इस संदर्भ में पत्रक जारी करने का आदेश देते हुए कहा कि संबंधित प्रकरण की सुनवार्इ तीन सप्ताह में होगी ।