मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा बलात्कार पीडिता से राखी बंधवाने की शर्त पर आरोपी को जमानत देने का प्रकरण
नई देहली – न्यायमूर्तियों को यौन संवेदनशीलता का ज्ञान देना आवश्यक है । यह संवेदनशीलता होगी, तो न्यायाधीश यौन अत्याचार के प्रकरण अधिक संवेदनशीलता से देखेंगे । राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर न्यायिक अकादमी में इस विषय के कार्यक्रमों का समावेश होना चाहिए, ऐसा मत एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायालय में व्यक्त किया । मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने जुलाई महीने में बलात्कार के अपराध के आरोपी को पीडित लडकी से राखी बंधवाने की शर्त पर जमानत दी है । इस प्रकरण में ९ महिला अधिवक्ताओं ने उच्चतम न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है । इस पर न्यायालय ने एटर्नी जनरल को अपना मत प्रस्तुत करने हेतु कहा था । इसके अनुसार वेणुगोपाल ने अपना मत न्यायालय में प्रस्तुत किया । ‘ऐसी शर्त कानून के विरोध में है’, ऐसा इन महिला अधिवक्ताओं ने अपनी याचिका में कहा है ।
Orders to get rakhi tied in sexual assault cases are drama, Attorney General tells SChttps://t.co/kXZuipCVgY
— ThePrintIndia (@ThePrintIndia) November 2, 2020
१. वेणुगोपाल ने कहा कि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों ने इस प्रकरण में व्यक्त किया हुआ मत निंदनीय है । इस प्रकरण में न्यायाधीशों ने भावनावश यह निर्णय दिया है ।
२. एटर्नी जनरल का मत सुनने के बाद न्यायालय ने इस संदर्भ में पत्रक जारी करने का आदेश देते हुए कहा कि संबंधित प्रकरण की सुनवार्इ तीन सप्ताह में होगी ।