तिरुवनंतपुरम (केरल) – १६ नवंबर से आरंभ हो रहे शबरीमला मंदिर में दर्शन के लिए एक मास शेष है । कोरोना महामारी की पार्श्वभूमि पर यहां भक्तों के प्रवेश को लेकर राज्य सरकार द्वारा लिए गए एकपक्षीय निर्णय पर विभिन्न हिन्दू संगठनों ने कडी आपत्ति दर्शाई है । वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में यह आपत्ति उठाई गई । इस कार्यक्रम में विभिन्न हिंदू संगठनों के प्रमुख उपस्थित थे ।
भाजपा समर्थित हिन्दू संगठनों का मानना है कि सरकार को मुख्य पुजारी, पंडलम वंश के सदस्य, हिन्दू संगठन, भक्त और सेवा संगठनों से जुडे अन्य लोगों से सुझाव लेने के उपरांत ही भक्तों को अनुमति देने का अंतिम निर्णय लेना चाहिए ।
SABARIMALA TEMPLE OPENING:Hindu groups are of the view that a final decision on permitting the devotees should be taken…
Posted by S J R Kumar on Tuesday, 13 October 2020
१. ‘अखिल भारतीय शबरीमला कृति परिषद’ के राष्ट्रीय महासचिव एसजेआर कुमार ने कहा कि राज्य सरकार को संबंधित मंत्रियों और नौकरशाहों की एक समिति गठित कर केवल उनके विचार पर आधारित निर्णय लेना ही योग्य नहीं है । यह पूर्णरूप से असंवैधानिक है । वर्तमान समिति में नियुक्त सचिवों का मंदिर की नित्य सेवा से कोई लेना-देना नहीं है । राज्य सरकार ने अन्य धर्माें के धार्मिक कार्यक्रमों के विषय में निर्णय लेते समय उन्हें अपनी परंपरानुसार निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी तथा उन्हें विश्वास में लिया गया किंतु राज्य सरकार हिन्दू मंदिरों के संबंध में एकपक्षीय निर्णय लेती है । यह निर्णय पूरी तरह से असंवैधानिक और लोकतांत्रिक पद्धति से चुनी गई सरकार का हिन्दू विरोधी दृष्टिकोण है ।
२. चर्चा में अधिकांश सदस्यों का मत था कि कोरोना महामारी जैसे बढ रही है, उसे देखते हुए सरकार को वर्तमान में श्री अय्यप्पा भक्तों के आगमन पर रोक लगाने का प्रयत्न करना चाहिए क्योंकि यदि सहस्रों भक्त मंदिर क्षेत्र में इकट्ठे होते हैं, तो यह उनके स्वास्थ्य को संकट में डाल सकता है । इसके साथ ही सरकार को मंदिर की अत्यावश्यक विधियों एवं अनुष्ठानों को पूरा करने का नियोजन करना चाहिए, जिससे मंदिर की पवित्रता प्रभावित न हो ।