देशप्रेमी पत्रकारिता !

     ‘जी न्‍यूज’ समाचार वाहिनी के संपादक सुधीर चौधरी को पाकिस्‍तानी आतंकवादियों ने दूरभाष पर धमकी दी है । आतंकवादी ने कहा कि ‘तुम पाकिस्‍तान के विरुद्ध बोलना बंद कर दो, नहीं तो तुम्‍हारी आवाज बंद कर दी जाएगी ।’ ‘जी न्‍यूज’ के संपादक को यह धमकीभरा दूरभाष पहली बार नहीं मिला है, इससे पहले भी पाकिस्‍तानी आतंकवादियों के काले कृत्‍य उजागर करने पर इस वाहिनी को धमकियां दी गई हैं । ‘जी न्‍यूज’ पर रात ९ बजे होनेवाला सुधीर चौधरी का ‘डीएनए’ कार्यक्रम, पूरे भारत में लोकप्रिय है । भारतीय पत्रकारिता की गुणवत्ता का स्‍तर प्रतिदिन गिरता जा रहा है, ऐसी स्‍थिति में भी ‘डीएनए’ कार्यक्रम के माध्‍यम से सुधीर चौधरी की संयत एवं सच्‍ची पत्रकारिता उभरकर दिखाई देती है । ‘कश्‍मीर के आतंकवादी संगठन और उन्‍हें धर्मांधों से मिलनेवाली सहायता’, ‘धर्मांधों का हिन्‍दुआें के विरुद्ध चलाया जानेवाला जिहाद’, ‘जिहाद के विविध प्रकार’, ‘भारत में होनेवाले धार्मिक दंगों का सच’ आदि विविध विषयों पर ‘जी न्‍यूज’ ने अपनी बात स्‍पष्‍टता से रखी है । भारत की अधिकतर समाचार वाहिनियां कथित धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्‍दू नेता, हिन्‍दू धर्म को अपकीर्त (बदनाम) करने का कार्य कर रही हैं । ऐसी परिस्‍थिति में केवल भारत में नहीं, अपितु इस्‍लामी देशों में भी हिन्‍दुआें पर होनेवाले अत्‍याचारों पर प्रकाश डालनेवाले ‘जी न्‍यूज’ का कार्य प्रशंसनीय है । जिस काल में ‘हिन्‍दू’, ‘हिन्‍दुत्‍व’ अथवा ‘हिन्‍दू धर्म’ इस शब्‍द का उच्‍चारण करना भी ‘धर्मांधता’ समझी जाती है, उस काल में ‘जी न्‍यूज’ हिन्‍दुआें पर हो रहे धर्मांधों के अत्‍याचार के विरुद्ध आवाज उठा रही है । ‘जी न्‍यूज’ के ‘डीएनए’ कार्यक्रम में अन्‍य समाचार वाहिनियों में दिखाई देनेवाला शोर और नोक-झोंक नहीं होता । निवेदक चौधरी अपनी बात समझाने के लिए हाथ उठाकर अथवा चिल्लाकर नहीं बोलते । किसी घटना का कोई निष्‍कर्ष न बताकर वे दर्शकों के सामने तथ्‍य रखते हैं और क्‍या उचित तथा क्‍या अनुचित है, यह निर्णय करने का कार्य जनता पर छोड देते हैं । ‘इस समाचार वाहिनी और उसके संपादक को धमकियां दी जा रही हैं, ऐसी परिस्‍थिति में संबंधित लोगों के विरुद्ध क्‍या कार्यवाही की ?’ अथवा ‘धमकी देनेवाले अभी तक क्‍यों नहीं पकडे गए ?’ ऐसे प्रश्‍नों के उत्तर सरकार को देने होंगे । परंतु एक बात तो सत्‍य है, किसी समाचार वाहिनी के शब्‍दबाणों से आतंकवादी बौखला जाएं, तो यह पत्रकारिता की सफलता ही मानी जाएगी । जब लोकतंत्र का चौथा स्‍तंभ हिल रहा है, ऐसे में ‘जी न्‍यूज’ समान समाचारवाहिनियों का समाचार संकलन, आशा की किरण लगता है ।

आक्रामक विरुद्ध संयत पत्रकारिता !

     ‘वस्‍तु में गुणवत्ता हो अथवा न हो, उसका वेष्‍टन आकर्षक होना ही चाहिए’, यह धंधे में लाभ कमाने का महत्त्वपूर्ण सूत्र माना जाता है । आजकल की व्‍यावसायिक पत्रकारिता में इसी सूत्र का पालन किया जाता है । किसी भी घटना में नमक-मिर्च मिलाकर परोसने का निंदनीय कृत्‍य आजकल की कुछ समाचार वाहिनियां कर रही हैं । ‘आक्रामक’ ढंग से बात प्रस्‍तुत कर अपना विचार लोगों के गले उतारा जा सकता है’, यह भ्रम समाचार वाहिनियों में काम करनेवाले कुछ लोगों में उत्‍पन्‍न हुआ है; इसलिए उनके कार्यक्रमों को वीभत्‍स रूप प्राप्‍त हुआ है । अन्‍याय के विरुद्ध रोषपूर्ण बोलना अथवा लिखना अनुचित नहीं है । परंतु, इस रोष पर विवेक का नियंत्रण होना चाहिए । ऐसा न होने पर, कार्यक्रम की सफलता शून्‍य हो जाती है । ऐसी ही स्‍थिति आज अनेक समाचार वाहिनियों में दिखाई दे रही है । तत्त्वनिष्‍ठा, सदाचार, शालीनता, ये गुण पत्रकारिता से बहुत पहले लुप्‍त हो गए हैं । वीर सावरकर, लोकमान्‍य टिळक आदि ने स्‍वतंत्रता पूर्व काल में जो पत्रकारिता की थी, वह आक्रामक थी; परंतु उसमें नैतिकता और शालीनता भी थी । इसलिए उनकी पत्रकारिता मार्ग से नहीं भटकी । इनमें आत्‍मसंयम था, इसलिए वे पत्रकारिता के माध्‍यम से जनजागृति करने में सफल रहे । चारों ओर की परिस्‍थिति विकट होने पर भी और समाज सुप्‍त होने पर भी, केवल शब्‍दों के माध्‍यम से लोगों में स्‍फुरण अथवा नवचेतना भरना, अति कठिन कार्य था । फिर भी, इन महापुरुषों ने यह कार्य सहजता से पूरा किया । स्‍वतंत्रता पूर्व काल की तुलना में आज की स्‍थिति अच्‍छी है; परंतु आजकल के पत्रकार स्‍वार्थी हो गए हैं; इसलिए राजनेता निर्भय होकर देश को लूट रहे हैं ।

देशद्रोही पत्रकारिता पर रोक लगनी चाहिए !

हाल ही में देहली में पत्रकार राजीव शर्मा को चीन के लिए गुप्‍तचरी करते हुए बंदी बनाया गया । इसी प्रकार, कुछ दिन पहले केरल में पत्रकार सिद्दिकी कप्‍पन को पुलिस ने आतंकवाद विरोधी अधिनियम के अंतर्गत बंदी बनाया था । यह कप्‍पन जिस जालस्‍थल का संचालक था, उसके माध्‍यम से वह भारत में दंगे भडकाने के लिए ‘मार्गदर्शन’ करता था । उसे आतंकवादी संगठन ‘पॉप्‍युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ धन प्रदान करता था । वास्‍तविक, इन दोनों घटनाआें को गंभीरता से लेकर सभी समाचार वाहिनियों को इन्‍हें व्‍यापक रूप से प्रकाशित करना चाहिए था; क्‍योंकि इसके पहले पता चल गया था कि पत्रकारिता भ्रष्‍ट हो गई है । इन घटनाआें से उजागर हुआ है कि पत्रकारिता क्षेत्र में देशद्रोहियों का प्रवेश हो गया है । पत्रकारिता क्षेत्र का पतन रोकने के लिए इस क्षेत्र के लोगों को ही आगे आना होगा ।
आजकल की पत्रकारिता में भी दो गुट दिखाई देते हैं – एक देशप्रेमी पत्रकारों का, तो दूसरा खुलकर देश के विरुद्ध लिखने-बोलनेवाले पत्रकारों का । देशहित की पत्रकारिता करते समय प्राण संकट में पड सकते हैं, यह ‘जी न्‍यूज’ के संपादक को मिली धमकियों से स्‍पष्‍ट हुआ है । देशप्रेमी पत्रकारों के पीछे देशप्रेमी नागरिकों को दृढता से खडे रहकर उन्‍हें आश्‍वस्‍त करना आवश्‍यक है । ऐसे लोगों को पूर्ण सुरक्षा देना सरकार का कर्तव्‍य है । दूसरी बात, देशविरोधी पत्रकारों की बाहें मरोडने के लिए इस क्षेत्र में ‘स्‍वच्‍छता अभियान’ चलाने का यही उचित समय है !