‘आगामी काल घोर आपातकाल है । सभी स्थानों पर भूमि पर अपनेआप दरार पड जाएगी अर्थात भूकंप होंगे । अनेक स्थानों पर अन्य प्राकृतिक आपदाएं भी आएंगी । विमान दुर्घटनाएं होंगी । अनेक प्रकार की हानि होगी । सबकुछ नष्ट हो जाएगा । ऐसी प्रतिकूलता अनेक देशों में होनेवाली है । इस आपातकाल में साधकों की रक्षा होना, यह श्री गुरुदेव की ही कृपा है ।’
[संदर्भ : महर्षि जीवनाडीवाचन क्र. २३, कक्ष क्र. ४१९, होटल विश्वरत्न, गुवाहाटी, असम. (३.७.२०१५)]