अधिवक्ता पू. सुरेश कुलकर्णी की मुख्य न्यायाधीश से मांग
संभाजीनगर – सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायमूर्ति और प्रेस काउन्सिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने अभी कुछ समय पूर्व ही आर्थिक अपराधी नीरव मोदी के पक्ष में इंग्लैंड के न्यायालय में चल रहे अभियोग में गवाही दी है कि, ‘नीरव मोदी को भारत में न्याय नहीं मिलेगा ।’ मुंबई उच्च न्यायालय के औरंगाबाद खंडपीठ में अधिवक्ता के रूप में कार्य देखनेवाले हिन्दू विधिज्ञ परिषद के संस्थापक सदस्य और उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के सचिव अधिवक्ता पू. सुरेश कुलकर्णी ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर मांग की है कि श्री. काटजू पर कठोर कार्यवाही की जाए । उसमें भूतपूर्व न्या. काटजू का निवृत्तिवेतन और निवृत्ति के उपरांत मिलनेवाली सुविधाएं रोकने आदि मांगों का समावेश है । इस आशय का एक पत्र अधिवक्ता पू. सुरेश कुलकर्णी ने भारत के गृहमंत्री अमित शहा और केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन को लिखकर इस प्रकरण में ध्यान देने की विनती की है ।
अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी ने अपने पत्र में कहा है कि,
१. नीरव मोदी फरार अपराधी है तथा इंटरपोल और भारत सरकार द्वारा अगस्त २०१८ से भ्रष्टाचार, अनुचित आर्थिक लेन-देन, ठगी, अनुबंध भंग सहित अपराधिक षड्यंत्र, विश्वास का उल्लंघन आदि अपराध किए हुए आरोपी हैं । इसलिए भूतपूर्व न्या. काटजू के ऐसे विधान से नीरव मोदी के भारत में प्रत्यार्पण की प्रक्रिया पर बुरा परिणाम होगा ।
२. वर्तमान में कोरोना महामारी का देश की अर्थव्यवस्था को बडा झटका लगा है तथा भारत को आर्थिक संकटों का सामना करना पड रहा है । इस कठिन काल में अर्थव्यवस्था को सफलता के मार्ग पर लाने के लिए केंद्र सरकार सब प्रकार से प्रयत्न कर रही है, यह वास्तविकता कोई नकार नहीं सकता । मैं यहां बताना चाहता हूं कि, देश की सामान्य जनता भी निष्पक्षता और न्याय देनेवाली संस्था के रूप में न्यायव्यवस्था का आदर करती है और देश की न्यायालयीन व्यवस्था पर प्रचंड विश्वास रखती है ।
३. इससे पूर्व भी भूतपूर्व न्या. काटजू ने श्रीराममंदिर निर्माण के निर्णय पर आलोचना की थी । वर्ष १९७६ के जबलपुर न्यायालय के परिणाम के पश्चात यह निर्णय लज्जाजनक है, ऐसा वक्तव्य किया था । इससे पहले भूतपूर्व न्या. काटजू ने मुंबई बमविस्फोट प्रकरण में गैरजिम्मेदार विधान के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय में क्षमा मांगी थी ।
४. वर्ष २०१६ में भूतपूर्व न्या. काटजू के ‘ब्लॉग’ पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के विरुद्ध अत्यंत कठोर भाषा का उपयोग करने का उन पर आरोप था । केरल के सौम्या खून और बलात्कार प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय के छठवें न्यायालय के ३ न्यायाधीशों की खंडपीठ के तत्कालीन अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजन गोगोई पर न्या. काटजू चिल्लाए थे । न्यायमूर्ति ने सुरक्षारक्षकों से न्या. काटजू को न्यायालय के कक्ष से बाहर निकालने के लिए कहा था ।
Nirav Modi made a ‘scapegoat’, will not get a fair trial in India: Former SC judge Markandey Katju defends the bank scam accused in London courthttps://t.co/NWn5MkVAWc
— OpIndia.com (@OpIndia_com) September 12, 2020
५. ऐसे भूतपूर्व न्या. काटजू का वर्तमान विधान पूर्णतः असहनीय हैै; क्योंकि इस कारण देश की संपूर्ण न्यायालयीन व्यवस्था को बहुत बडा धक्का पहुंचा है तथा देश के अन्वेषण तंत्र पर आक्रमण हुआ है इसलिए सरकार की इस प्रामाणिक संस्था का मनोबल टूटा है । यह दिखाई देता है कि भूतपूर्व न्या. काटजू ने ये विधान जानबूझकर किए हैं ।
६. मैं आपसे भूतपूर्व न्या. काटजू के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने की विनती करता हूं । उनका निवृत्तिवेतन रोका जाए तथा निवृत्ति के उपरांत दिए जानेवाले अन्य लाभ बंद किए जाएं, जिससे वह संपूर्ण देश के लिए एक आदर्श बनेगा और भूतपूर्व न्या. काटजू जैसे लोग देश की भावनाओं से खेलने का साहस नहीं कर पाएंगे ।