जिना अगर भारत का विभाजन चाहते थे, तो म.गांधी, नेहरू और कांग्रेस ने उसका विरोध कर उसे रोका क्यों नही, इसका उत्तर नहीं मिलता ।
इस्लामाबाद (पाकिस्तान) – पाकिस्तानी वंश के राज्यशास्त्र संशोधक इश्तियाक अहमद ने दावा किया है किभारत के विभाजन की जिद महम्मद अली जिना की ही थी । अपनी किताब ‘जिना हिज सक्सेस, फेलियर ऐंड रोल इन हिस्टरी ‘मे इश्तियाक अहमद ने ये जानकारी दी है ।
अहमद इस किताब में कहते हैं कि
१. भारत का विभाजन न हो इस पर म.गांधी, नेहरू और कांग्रेस का जोर था । लेकिन मुस्लिम लीग के नेता महम्मद अली जिना विभाजन पर ही अडे रहे । जिना ने कांग्रेस को हिन्दुओं का पक्ष और म.गांधी को हुकुमशाह सिद्ध करने का एक भी मौका छोडा नहीं ।
२. २२ मार्च १९४० को लाहोर के अध्यक्षीय भाषण के बाद २३ मार्च को ये प्रस्ताव पारित हुआ । उसके बाद न मुस्लिम लीग ने और नाही जिना ने एक बार भी अखंड भारत की इच्छा व्यक्त की ।
३. जिना के वक्तव्यों तथा निवेदनों से यही साबित होता है कि जिना भारत का विभाजन कर पाकिस्तान के निर्माण पर जोर दे रहे थे । ब्रिटिश अपने स्वार्थ के लिए इस सूत्र पर तैयार थे । अखंड भारत ब्रिटिशों के उद्देश्य सफल नहीं कर सकता था । मात्र मुस्लिम लीग के नेतृत्त्व में पाकिस्तान के निर्माण पर ये उद्देश्य सफल हो सकते थे । अखंड भारत सोविएत यूनियन का साथ देगा ब्रिटिशों को इसका डर था । जिना केवल पाकिस्तान के निर्माण पर जोर नहीं दे रहे थे बल्कि सिक्ख और द्रविड के लिए भी अलग राष्ट्र निर्माण करना चाहते थे जिना धर्मनिरपेक्ष पाकिस्तान का निर्माण चाहते थे, ये सरासर झूठ है ।
४. दोनों देशो में बडे पैमाने पर अल्प संख्यक रहेंगे यह जानकारी मुस्लिम लीग को थी । भारत मे अगर मुस्लिमों को परेशान किया गया तो पाकिस्तान में हिन्दुओं को परेशान कर सकते हैं, ऐसा उनका विचार था । ३० मार्च १९४१ को जिना को भारतीय मुसलमानों के विषय में पूछने पर उन्होंने कहा, ड़सात करोड मुसलमानों को आजाद करने के लिए दो करोड मुसलमान तैयार हैं । उस समय साढेतीन करोड मुसलमान भारत में रहते थे ।