भाग्यनगर (तेलंगाना) – यहां के भारत बायोटेक आर भारतीय वैद्यकीय संशेधन परिषद ने संयुक्त रूप से कोरोना के ऊपर उपचार के लिए ‘कोवैक्सिन’ नामक स्वदेशी वैक्सिन का निर्माण किया है । वर्तमान में देश के १२ वैद्यकीय संस्थाओं में मानव के ऊपर इस वैक्सिन का प्रयोग चल रहा है । प्राणियों के ऊपर इसका प्रयेग सफल होने का ब्योरा सामने आया है ।
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— ETHealthWorld (@ETHealthWorld) September 12, 2020
१. इस प्रयोग में २० बंदरों को ५ की संख्या में ४ गुटों में बांटा गया था । उन सभी को वैक्सिन की २ खुराक दी गई थी । एक गुट के बंदरों को ‘प्लासीबो’ दिया गया था । ३ अन्य गुटों को अलग अलग प्रकार की वैक्सिन की पहली खुराक दी गई । ४ दिनों के उपरांत दूसरी खुराक दी गई ।
२. १४ दिनों के उपरांत दूसरी खुराक देने के बाद सभी बंदर कोरोना विषाणु के संपर्क में आए । इसके बाद वैक्सिन के कारण कोरोना विषाणु से बंदरों का रक्षण हुआ, एसा प्रयोग से पता चला । बंदरों के शरीर में विषाणु का नाश करने वाले ‘एंटीबॉडिज’ बने । उसी प्रकार नाक, गला और फेफडे में विषाणुओं का बढना रुक गया ।
३. जिन बंदरों को वैक्सिन दिए गए उनकी जांच में निमोनिया के लक्षण नहीं दिखाई दिए । जिन प्राणियों को वैक्सिन के २ डोज दिए गए उनमें कोई भी नकारात्मक परिणाम नहीं दिखाई दिए ।‘कोवैक्सिन’ देने से जानवरों में कोरोना के विरुद्ध लडने के लिए रोगप्रतिकारक क्षमता का निर्माण हुआ ।