बेंगलूरु के ‘चर्च ऑफ साउथ इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन’ से ५९ करोड ५२ लाख रुपए जब्त

प्रवर्तन निदेशालय की कार्यवाही

रक्षा मंत्रालय की भूमि कर्नाटक सरकार को परस्पर ही किराए पर देने का प्रकरण

  • केंद्र सरकार की भूमि राज्य सरकार को किराए पर देकर सरकार के साथ धोखाधडी करनेवाले ‘चर्च ऑफ साउथ इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन’ पर सरकार को तत्काल प्रतिबंध लगा देना चाहिए !
  • धर्मांतरण के कृत्यों के साथ ही अब ईसाई संस्थाएं सरकारी भूमि भी हडप रही हैं, यह इस घटना से स्पष्ट होता है ! पूरे देश में कौन-कौनसी संस्थाओं ने कितनी सरकारी भूमि हडप ली हैं, इस विषय में सरकार को तत्काल जांच कर संबंधित लोगों के विरुद्ध कार्यवाही करनी चाहिए !

बेंगलूरु – रक्षा मंत्रालय के स्वामित्ववाली ७४४२६.८८८ वर्ग मीटर भूमि कर्नाटक सरकार को परस्पर किराए पर देने के प्रकरण में प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) ने बेंगलूरु के ‘चर्च ऑफ साउथ इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन’ से (‘सी.एस.आई.टी.ए.’ से) ५९ करोड ५२ लाख रुपए जब्त किए हैं । इस प्रकरण में बेंगलूरु के अशोक नगर पुलिस थाने में ‘सी.एस.आई.टी.ए.’ के विरुद्ध रक्षा मंत्रालय की भूमि धोखाधडी से हस्तांतरित करने हेतु समझौता किए जाने की शिकायत प्रविष्ट की गई है तथा इस प्रकरण की जांच आरंभ की गई है ।

‘ईडी’ द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार,

१. रक्षा मंत्रालय की उक्त भूमि ‘ऑल सेंट्स चर्च’ को किराए पर दी गई थी, तथापि इस भूमि का स्थायी स्वामित्व रक्षा मंत्रालय के पास ही था । (इस भूमि को किसने, किसके कार्यकाल में और किस प्रकार एक ईसाई चर्च को दी, इसका पूरा विवरण जनता के सामने आना चाहिए ! – संपादक)

२. वर्ष २०१९ में ‘चर्च ऑफ साउथ इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन’ ने ‘ऑल सेंट्स चर्च’ के नियंत्रणवाली भूमि कर्नाटक राज्य सरकार के ‘बेंगलूरु मेट्रो रेल निगम लिमिटेड’ (बी.एम.आर.सी.एल.) प्रतिष्ठान को अवैध रूप से किराए पर दी । (‘बेंगलूरु मेट्रो रेल निगम लिमिटेड’ ने ‘हम किराए पर जो भूमि ले रहे हैं, उसपर किसका स्वामित्व है ?’, यह जानने का प्रयास क्यों नहीं किया ? और सबकुछ ज्ञात होते हुए भी उसकी ‘अर्थपूर्ण’ अनदेखी की ?, यह सच्चाई भी जनता के सामने आनी चाहिए ! – संपादक) उसके बदले में ‘चर्च ऑफ साउथ इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन’ ने ५९ करोड २९ लाख रुपए अर्जित किए । (‘चर्च ऑफ साउथ इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन’ की इस कुटिलता को जान लें ! – संपादक) बी.एम.आर.सी.एल.’ ने यह भूमि ‘कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड ’(‘केआईएडीबी’ के ) माध्यम से किराए पर ली ।

३. ‘ईडी’ ने जब इस प्रकरण की जांच की, तब ‘इस भूमि का कानूनी स्वामित्व भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के पास होने की बात सामने आई, साथ ही इस भूमि को धार्मिक कार्य हेतु ‘ऑल सेंट्स चर्च’ को दिया गया था’, यह भी ज्ञात हुआ । (‘अंधा पीसे कुत्ता खाए’ कहावत का स्मरण दिलानेवाली ढीली कार्यपद्धति ‘ सरकार को अब रक्षा मंत्रालय के साथ धोखाधडी करनेवाले ‘ऑल सेंट्स’ चर्च पर भी प्रतिबंध ही लगाना चाहिए ! – संपादक)

४. इस भूमि का कानूनी स्वामित्व रक्षा मंत्रालय के पास होने से भरपाई की धनराशि भारत के ‘एकत्रित कोष’ में जानी चाहिए थी । ‘ईडी’ ने ब्याज सहित ५९ करोड ५२ लाख रुपए जब्त किए हैं तथा ये पूरी धनराशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में आवर्ति जमा के रूप में है । ‘मनी लॉन्ड्रिंग प्रिवेंशन एक्ट २०००’ कानून के अंतर्गत यह कार्यवाही की गई थी ।