बारपेटा (असम) में कट्टरपंथियों ने मठ में तोडफोड कर श्रीमद्भगवद्गीता जलाई !

पिछले वर्ष लक्ष्मी मंदिर को भी लगाई थी आग !

  • असम में भाजपा का राज्य होते हुए भी वहां कट्टरपंथी ऐसी घटनाएं करें, यह हिन्दुओं को अपेक्षित नहीं । हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों की रक्षा करने के लिए वहां की भाजपा सरकार को अधिक ध्यान देना चाहिए, ऐसा हिन्दुओं को लगता है !
  • हिन्दुओं के मंदिरों में बार-बार तोडफोड करनेवाले कट्टपंथियों के विरुद्ध सरकार कठोर कार्यवाही क्यों नहीं करती ?
  • कट्टरपंथियों के श्रद्धास्थानों के विषय में ऐसा कुछ हुआ होता, तो वहां दंगा भडक गया होता और प्रचारमाध्यमों ने उस समाचार का प्रसारण ‘धर्मनिरपेक्ष ढंग से’ किया होता; परंतु जहां हिन्दुओं के धार्मिक स्थानों की तोडफोड की जाती है, वहां का समाचार वे दबा देते हैं !

बारपेटा (असम) – यहां के गांव गनक कूची में एक प्राचीन वैष्णव मठ है । आरोपी रफीकुल अली ने इसमें घुसकर तोडफोड की, श्रीमद्भगवद्गीता जलाई, मठ की अनेक वस्तुएं बाहर निकालकर उन्हें भी आग लगाई और गुरु का आसन तोडा । इस प्रकार, मठ को अपवित्र करनेवाले आरोपी रफीकुल अली को बंदी बनाया गया है । मठ से धुआं निकलता देखकर स्थानीय लोग वहां पहुंचे और उन्होंने अली को पकडकर पुलिस को सौंपा । वह आरोपी बारपेटा जनपद के शांतिपुर गांव का निवासी है । जब अली मठ में तोडफोड कर रहा था, उस समय वहां कोई नहीं था । इस घटना के पश्चात वहां तनाव उत्पन्न हो गया है । यह मठ १६ वीं शताब्दी में श्री माधवदेव ने बनवाया था । श्री माधवदेव महान संत शंकरदेव के शिष्य थे ।

गत वर्ष ८ अक्टूबर को भी रफीकुल अली ने बारपेटा के उत्कुची क्षेत्र में स्थित श्री लक्ष्मी मंदिर में घुसकर आग लगाई थी और मूर्ति के आभूषण चुराए थे । उस समय भी स्थानीय लोगों ने उसे पकडकर पुलिस को सौंपा था ।