नई देहली- मध्यप्रदेश उज्जैन स्थित प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योर्तिंलिंग मंदिर के शिवलिंग में पडने वाली दरार को रोकने के लिये भक्त उस पर पंचामृत का अभिषेक ना करें । शिवलिंग पर दूध से अभिषेक करें, ऐसा आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने दिया ।
‘हम भक्तों को शुद्ध दूध उपलब्ध करवाएंगे, अशुद्ध दूध से अभिषेक नहीं किया जाएगा, इसका भी ध्यान रखेंगे’, मंदिर समिति ने न्यायालय को ऐसा बताया । सर्वोच्च न्यायालय ने मंदिर के शिवलिंग की सुरक्षा के संदर्भ में अनेक सूचनाएं दी हैं । ‘किसी भी प्रकार का लेप नहीं लगा सकते अथवा चोल भी नहीं सकते । मंदिर में होने वाली भस्म आरती में सुधार करने का आदेश न्यायालय ने दिया है । आरती के समय उठने वाले धुंए से शिवलिंग को हानि ना पहुंचे; इसलिये यह निर्देश न्यायालय ने दिए हैं । शिवलिंग के ऊपर फूल-माला का भार कम करें ऐसा भी न्यायालय ने कहा है । (धार्मिक बातों से संबंधित सूत्रों में हिन्दू धर्माचार्यों का मार्गदर्शन लेना चाहिए, समस्त हिन्दुओं की ऐसी अपेक्षा है ! – संपादक)
१. शिवलिंग पर दही, घी और मधु लगाने से उसमें दरार पडती है ऐसा न्यायालय ने अपने निरीक्षण में बताया है । इस कारण निश्चित प्रमाण में शुद्ध दूध से शिवलिंग का अभिषेक करने का सुझाव देकर अन्य सभी प्रकार के अभिषेक पर बंदी लगाना उचित होगा, ऐसा न्यायालय ने कहा है ।
२. परंपरानुसार सभी पूजा और अभिषेक शुद्ध वस्तुओं का प्रयोग करके ही किया जाता है । पुजारी और पंडितों को इसका ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी भक्त शिवलिंग पर लेप और दूध के अतिरिक्त किसी अन्य पदार्थ से अभिषेक नहीं करे !
३. मंदिर समिति की ओर से पारंपरिक पद्धति से पूजा और अभिषेक किया जाएगा । गर्मगृह में सीसीटीवी कैमरे से २४ घंटे ध्यान रखा जाएगा । ६ माह तक इसकी रिकार्डिंग संभाल कर रखें । किसी भी पुजारी द्वारा इस आदेश का उल्लंघन करने पर मंदिर समिति उस पुजारी के विरुद्ध कार्यवाही कर सकती है । मंदिर समिति की ओर से दूध की व्यवस्था की जायेगी । दूध अच्छी गुणवत्ता का होना चाहिए इसीलिये यह व्यवस्था की जा रही है, ऐसा न्यायालय ने कहा है ।
४. मंदिर से ५०० मीटर दूरी का अतिक्रमण हटाने का आदेश न्यायलय ने जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक को दिया है । (जब अतिक्रमण हो रहा था तब प्रशासन और पुलिस सो रही थी क्या ? ऐसा आदेश न्यायालय को क्यों देना पडता है ? प्रशासन और पुलिस को यह अतिक्रमण नहीं दिखता क्या ? अभी तक हुए अतिक्रमण पर कार्यवाही न करने वालों पर कार्यवाही करने का आदेश न्यायालय को देना चाहिए ? ! – संपादक )
५. वर्तमान में मंदिर की वास्तु स्थिति के विषय में मदिर समिति के विशेषज्ञ के गुट १५ दिसंबर २०२० तक न्यायालय के सामने रिपोर्ट प्रस्तुत करें । मंदिर के शिवलिंग का संरक्षण किस प्रकार से किया जाएगा ? और मंदिर निर्माण में किसी प्रकार की देरी न हाे, इसका ध्यान रखा जाएगा ? इस विषय में समिति को बताना चाहिए, न्यालय ने ऐसा कहा है । (मूलत: मंदिर वास्तु के संरक्षण के विषय में मंदिर समिति को ही निर्णय लेना अपेक्षित है; यदि इसके लिए न्यायालय को आदेश देना पडे, तो ऐसी मंदिर समिति चाहिए ही क्यों ? – संपादक)
भगवान शिवजी की कृपा से अंतिम निर्णय दिया ! – न्या. अरुण मिश्रा
न्या. अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में खंडपीठ ने इस विवाद पर सुनवाई की । न्या. मिश्रा के कार्यकाल का यह अंतिम विवाद था । ‘भगवान शिवजी की कृपा से मेरे कार्यकाल का यह अंतिम निर्णय मैंने दिया है’, इस सुनवाई पर निर्णय देने के बाद न्या. मिश्रा ने ऐसी प्रतिक्रिया व्यक्त की । |