साधुओं की हत्या के पीछे नक्सली आंदोलन का संबंध होने की संभावना ! – स्वतंत्र सत्यशोधक दल का निरीक्षण

पालघर में भीड द्वारा की गई साधुओं की हत्या का प्रकरण

कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं द्वारा आदिवासियों को कानून का पालन न करने के संबंध में भडकाए जाने की भी जानकारी

जो एक स्वतंत्र जांच एजेंसी को लगता है, वह पुलिसवालों को क्यों नहीं लगता ? क्या पुलिस नक्सलवादियों को छुपाने का प्रयास कर रही है, यह समझा जाए ?

 

नई देहली – भीड द्वारा पालघर के 2 साधुओं की हत्या के विषय में एकस्वतंत्र एजेंसी ने जांचकी रिपोर्ट में हत्यारों का संबंध नक्सलवादियों से होने की आशंका व्यक्त की है । जांच एजेंसी ने नक्सलवादियों का हाथ उजागर करने के लिए सीबीआई और एनआईए से जांच कराने की अनुशंसा की है । ‘विवेकविचार मंच’के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अंबादास जोशी, संपादक किरण शेलार, पालघर जिले के सामाजिककार्यकर्ता संतोष जनाठे, निवृत्त सहायकपुलिस आयुक्त लक्ष्मण खारपडे, कुछ अधिवक्ता और कार्यकर्ता आदि इस जांच एजेंसी में शामिल थे । इस एजेंसी ने 29 अगस्त को अपनी जांच रिपोर्ट ऑनलाईन बताई ।

16 अप्रेल 2020 की रात को 70 वर्षीय कल्पवृक्ष गिरी, 35 वर्षीय सुशील गिरी और उनके वाहनचालक नीलेश तेलगडे की हत्या की गई थी । उनके गुरु महंत श्रीरामजी के अंतिम संस्कार के लिए गुजरात जाते समय गढचिंचले गांव में इनकी हत्या की गई थी ।

एजेंसी को जांचके दौरान ध्यान में आईं बातें

1. पुलिस यह घटना रोकसकती थी; परंतु उन्होंने इस हिंसा में सहभागी होने का मार्ग चुना ।

2. झारखंड में नक्सलवादियों के नेतृत्व में चलने वाले पत्थलगडी आंदोलन के अनुसार पालघर में यह मुहिम चलाई जा रही है । कम्युनिस्ट कार्यकर्ता यहां के आदिवासियों को केंद्र और राज्य सरकार द्वारा बनाए गए कानून का पालन न करने के लिए भडका रहे हैं । आदिवासियों को केवल उनके द्वारा बनाए गए कानून का पालन करने के लिए प्रेरित करते हैं । उनके सामने भ्रम पैदा करते हैं कि उनके पास 500 वर्ष पुराना राज्य संविधान है । एजेंसी ने इस दावे के लिए कम्युनिस्ट नेताओ के बनाए नियम और वीडियो जारी किए हैं ।

3. कम्युनिस्ट कार्यकर्ता अशिक्षित आदिवासी युवकों को सरकारी विकास योजना और हिन्दू समर्थकों की ओर से चलाए जाने वाली शिक्षण संस्था और विकास कार्यक्रमों के विरुद्ध भडका रहे हैं । वे हिन्दू नहीं हैं, आदिवासियों को ऐसा कहकर हिदु की परम्पराओं का पालन न करने के लिए उकसा (भडका) रहे हैं, तथा उन्हें नक्सली गतिविधि में भाग लेने के लिए प्रेरित करते हैं ।
4. इस क्षेत्र में देश विरोधी कार्यवाही की जा रही है । स्थानीय संगठन आदिवासियों में साधु और सरकार के विषय में द्वेष फैला रहे हैं । कष्टकरी संगठन, आदिवासी एकता परिषद, भूमि सेना और अन्य कुछ संगठन इसमें सहभागी हैं ।

5. पालघर में आदिवासियों को सरकार के विरुद्ध द्वेष निर्माण कर औद्योगिकक्षेत्र, बुलेट ट्रेन आदि विकास के कामों के विरुद्ध भडका रहे हैं ।

6. इस जांच एजेंसी ने इन हत्याओं में किसी भी निरपराध आदिवासी को न फंसाने की मांग करते हुए 150 पृष्ठो की रिपोर्ट जारी की है !