१४ सितंबर अर्थात राष्ट्रभाषा दिन !
वर्तमान में हमारे द्वारा उपयोग में लाई जानेवाली हिन्दी, शुद्ध नहीं; वह अरबी-फारसी-उर्दू-मिश्रित हिन्दी भाषा है । विदेशियों ने स्थूल आक्रमण के उपरांत भाषा पर आक्रमण किया । इसे असफल करने के लिए विदेशी शब्दों के लिए उनके पर्यायी संस्कृतनिष्ठ हिन्दी शब्द उपयोग में लाएं ।
१. हिन्दी की विशेषताएं
‘राष्ट्रभाषा की धारणा धर्म के सात्त्विक नीतिमूल्यों पर आधारित है । हिन्दी भाषा में किए जानेवाले व्यवहार रजोगुणी तरंगों से संबंधित हैं । यह धारणा राष्ट्र के स्वयंचलित आदर्श मूल्यों को समाज की पीढियों पर संस्कारित कर उन्हें क्रियाशील बनाती है ।’
२. हिन्दी को ‘संस्कृतनिष्ठ’ विशेषण क्यों लगाना पडता है ?
‘जिस हिन्दी को हम अपनी राष्ट्रभाषा बनाने के इच्छुक हैं, वह ‘हिन्दी अर्थात हिन्दुस्थानी’ नहीं ! यदि राष्ट्रभाषा हिन्दी को अन्य विकसित विदेशी भाषाओं के समान ही शब्दसंपन्न एवं विचारप्रदर्शन योग्य करना है, तो उसे संस्कृतनिष्ठता पर ही निर्भर रहना अनिवार्य है ।’ – वीर सावरकर
३. संस्कृतनिष्ठ हिन्दी का उपयोग कर ‘स्व-भाषा’ (धर्मरक्षा) के कार्य में सम्मिलित हों !
३ अ. आधुनिक विज्ञान की परिभाषा संस्कृत भाषा का आधार लेकर बनाना आवश्यक : ‘काव्य, तत्त्वज्ञान, रसायन, वैद्यक, पदार्थविज्ञान, यांत्रशिल्प, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, ये समस्त विचारशाखाआें के पोषण हेतु आवश्यक विषयानुरूप परिभाषा कैसे बनाएं ? सावरकरजी परामर्श देते हैं कि ‘केवल शब्दरत्नों के सागर में सुशोभित, हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाआें के प्रकृति के अनुकूल, जो उसके प्रतिरूप के रूप में शोभायमान हो, उस सुसंपन्न संस्कृत भाषा का आधार लेकर उसे सिद्ध करें । आज भी विश्व में ‘शब्दप्रसव क्षमता में संस्कृत समतुल्य अन्य कोई भाषा नहीं मिलेगी । संस्कृत भाषा का शब्दरत्नाकर एवं साहित्य-क्षीरसागर द्वार पर होते हुए भी, हम भिक्षापात्र लेकर मरुस्थल में ‘पानी-पानी’ करते हुए क्यों भटकें ?’ – प्राचार्य शिवाजीराव भोसले
४. भाषांतरित हिन्दी शब्दों में त्रुटियां
‘प्रत्येक विदेशी शब्द को उसी स्वरूप का, तो कभी-कभी उसी उच्चारण के शब्द की रचना ही करनी चाहिए’, यह हिन्दी लेखकों का आग्रह उतना ग्राह्य नहीं ।
उदाहरणार्थ १. ‘survey’ के लिए ‘सर्वेक्षण’ इस शब्द की रचना करने में मूल अंग्रेजी शब्द के निकट जाने के हास्यास्पद उद्देश्य है । हिन्दी में तो सामान्य ‘निरीक्षण’ शब्द से इस विचित्र सर्वेक्षण का काम चल जाएगा ।
२. ‘उप-अभियंता’ शब्द में संधि करने का अवसर होकर भी संधि नहीं की है । संधि किए बिना ही, शब्द के उच्चारण से अर्थ भी स्पष्ट नहीं होता ।