बंगळुरू में कट्टर दंगाइयों से हानि भरपाई वसूल की जाए ! – कर्नाटक सरकार से हिन्दू विधि परिषद की मांग

बंगळुरू : पैगंबर मोहम्मद के कथित अपमान को लेकर ११ अगस्त को हुए दंगे में एक पुलिसकर्मी सहित कम से कम ६० लोग घायल हुए और करोडों रुपयों की सरकारी और निजी संपत्ति की हानि हुई । हिन्दू विधि परिषद ने कर्नाटक सरकार से इन दंगाइयों से हानि भरपाई वसूलने और उनके विरुद्ध ‘अवैध कृति प्रतिबंधक कानून के अंतर्गत (यूएपीए) मामला दर्ज करने की मांग की है ।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में हिन्दू विधि परिषद ने कहा,

१- बंगळुरू के इन दुर्भाग्यपूर्ण; किंतु नियोजित दंगे हमें ८ वर्ष पहले ११ अगस्त २०१२ को मुंबई के आजाद मैदान में हुए दंगों का स्मरण कराते हैं । दंगों में महिला पुलिस से छेड़छाड़, मीडिया-वैन जलाना, पुलिसकर्मियों की पिटाई, शहीद स्मारक की तोडफोड आदि घटनाएं हुई थीं । हमारी संगठन के सदस्यों ने मुंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें दंगाइयों से हानि भरपाई वसूली की मांग की गई थी । याचिका के पश्चात हानिभरपाई वसूली की प्रक्रिया आरंभ हुई थी ।

२- बंगळुरू में कांग्रेस विधायकों के घरों में आग लगाने की दो घटनाएं हुईं । इसके साथ ही दो पुलिस थाने, तीन पुलिस वाहन और ३०० से अधिक नागरिकों के वाहन जला डाले गए । राज्य के राजस्व मंत्री ने मीडिया रिपोर्ट में और गृह मंत्री ने एक समाचार पत्र में वक्तव्य दिए, ‘हमारा दावा है कि यह अचानक और सहज दंगा नहीं; अपितु पूर्व-नियोजित दंगा था ।’

३- समाचार वाहिनियां और पुलिस अधिकारी इन दंगाइयों को आसानी से पहचान सकते हैं । इसलिए, इस पत्र द्वारा हम आपसे अन्य कानूनी मामलों सहित निम्नलिखित प्रकरणों पर तत्काल कार्यवाही करने का आग्रह करते हैं ।

अ- दंगाइयों से हानि भरपाई वसूल कर, उन्हें पीडितों में बांटने के लिए कर्नाटक पुलिस द्वारा अधिनियम, १९६३ की धारा ५ के अंतर्गत आवश्यक कार्रवाई की जाए ।

आ- ‘अवैध कृति प्रतिबंधक कानून (यूएपीए)’ एवं मकोका जैसे विशेष कानूनों के अंतर्गत प्रकरण दर्ज किया जाए ।

इ- दिल्ली और मुंबई में भी पूर्वनियोजित दंगे हुए थे, क्या बंगळुरु में भी वही हुआ है ? इसका पता लगाने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाए ।

ई- आर्थिक पहलुओं की जांच हो और यदि ऐसे दंगों के लिए आर्थिक आपूर्ति की गई हो, तो उस अनुसार आवश्यक कार्रवाई की जाए ।

ए- दंगाइयों को गिरफ्तार करना और कारावास में डालना; सरकार, गृह विभाग और पुलिस का कर्तव्य है । अत: सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, जिससे आरोपियों को जमानत न मिले और प्रकरण का संचालन सही तरीके से हो ।