वेबसीरिज को नियंत्रित करने के लिए तत्काल स्वतंत्र तंत्र बनाया जाए !

अधिवक्ताआें ने पत्र द्वारा की केंद्रसरकार से मांग

इस्लामिक राष्ट्रों में यदि कोई चलचित्र, नाटक, वेबसीरिज और सामाजिक माध्यमों द्वारा मोहम्मद पैगंबर अथवा कुरान का अपमान करता है, तो उसे सीधे मृत्युदंड दिया जाता है । ईसाई राष्ट्रों में यदि कोई ईसामसीह अथवा बाइबिल का अपमान करे, तो उसे कठोर से कठोर दंड दिया जाता है । इसके विपरीत हिन्दूबहुल; परंतु धर्मनिरपेक्ष भारत में कोई भी उठते बैठते हिन्दू देवताआें की मूर्तियां तोडे, उनके धर्मग्रंथ जलाए, देवताआें का उपहास करे, वेबसीरिज, चलचित्र तथा नाटकों के माध्यम से देवताआें का अनादर करे; तो उस संबंध में हिन्दुआें को इन सूत्रों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करनी पडती है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है । इससे हिन्दू राष्ट्र की अनिवार्यता ध्यान में आती है !

ठाणे – गत अनेक वर्षों से हिन्दू चलचित्र सृष्टि के विविध चलचित्रों, वेबसीरिज, यू-ट्यूब द्वारा निरंतर हिन्दू धर्म को लक्ष्य किया जा रहा है । अभी तक हिन्दुआें की धार्मिक भावनाएं आहत करनेवाले सैकडों चलचित्र प्रदर्शित हुए हैं । हिन्दू और सेना विरोधी, धार्मिक अनबन उत्पन्न करनेवाली तथा द्वेष फैलानेवाली एवं अनियंत्रित ‘ऑनलाइन’ वेबसीरिज को नियंत्रित करने के लिए तत्काल स्वतंत्र तंत्र बनाया जाए, अधिवक्ता दत्तात्रय देवळे और अधिवक्ता श्रीमती किशोरी कुलकर्णी ने केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री से ऐसी मांग की है ।

‘यह वर्तमान वेबसीरिज के माध्यम से हो रहा है, जो हिन्दी चलचित्रों की तुलना में अधिक भयानक है । एमेजोन प्राइम, नेटफ्लिक्स, अल्ट बालाजी, जी ५ जैसे ‘ओटीटी ऍप’ द्वारा प्रसारित होनेवाली वेबसीरिज के माध्यम से निरंतर हिन्दू संस्कृति, धर्म, देवता एवं संतों का अपमान किया जाता है । मनोरंजन के नाम पर अश्‍लील चलचित्र दिखाकर समाज की नैतिकता भ्रष्ट की जा रही है । यह रोकने के लिए जिस प्रकार चलचित्र के लिए केंद्रीय फिल्म निरीक्षण बोर्ड है, उसी प्रकार ‘वेबसीरिज’ के लिए भी एक तंत्र शीघ्रातिशीघ्र बनाया जाए । सिनेमिटोग्राफ अधिनियम १९५२, केबल टेलीविजन अधिनियम १९९५ आदि कानूनों में सुधार लाकर ‘ऑनलाइन’ वेबसीरिज को भी कानून के क्षेत्र में लाने का आदेश पारित किया जाए । भारतीय दंड संहिता तथा सूचना और तंत्रज्ञान अधिनियम २००० की धाराआें के अनुसार वेबसीरिज के माध्यम से चलनेवाले अनुचित कृत्य रोककर उन पर कानूनी कार्यवाही की जाए’ इस पत्र में ऐसी मांग की गई है ।