अमेरिका, यूरोप और इस्लामी देश मौन बैठे हैं, अमेरिका के सामाजिक कार्यकर्ताआें का आरोप
- चीन में कम्युनिस्ट सरकार है । कम्युनिस्टों की मनोवृत्ति हिंसक और क्रूर होने का इतिहास है । इसलिए चीन में ऐसा कुछ होने की संभावना को अनदेखी नहीं की जा सकती !
- कदाचित इन देशों से अवयवों की मांग होती होगी और चीन उन्हें उपलब्ध करवाता होगा, इसलिए वे मौन बैठे हुए हैं, यदि किसी को ऐसा लगे, तो अनुचित नहीं होगा !
न्यूयॉर्क (अमेरिका) – चीन के शिनजियांग प्रांत में बहुसंख्यक ‘उघुर’ मुसलमान हैं उन्हें बंधक बनाकर बलपूर्वक मजदूरी करने के लिए बाध्य किया जाता है । उसके लिए चीन में उन्हें नजरबंद करने के लिए विशेष भवन बनाए गए हैं । इन मुसलमानों को किसी प्रकार का पारिश्रमिक नहीं दिया जाता तथा उनसे औद्योगिक वस्तुएं बनवाई जाती हैं । उन्हें केवल जीवित रहने के लिए आवश्यक भोजन ही दिया जाता है । अब इन उघुर मुसलमानों के अवयव निकालकर प्रत्यारोपण के लिए उन्हें बेचने का व्यापार किया जा रहा है ।
इसके विरुद्ध अमेरिका के सामाजिक कार्यकर्ता मौरा मोहनियान और गुटमन ने आवाज उठाई है । उन्होंने प्रश्न किया है कि इस संबंध में अमेरिका, यूरोप और इस्लामिक राष्ट्र मौन क्यों हैं ? परिजनों की अनुमति से मृतक के अवयव का प्रत्यारोपण करने की पद्धति संसार में प्रचलित है; परंतु जीवित व्यक्ति के अवयवों को इस प्रकार उपयोग करना अमानुषिक है । चीन में इस प्रकार का व्यापार जोरों पर है । उनका वार्षिक लेनदेन ७० सहस्र करोड रुपए से १४० सहस्र करोड रुपए का है । उघुर मुसलमानों की इस अवस्था की ओर केवल अमेरिका, यूरोप के देश ही नहीं, अपितु इस्लामी देश भी आंखें बंद किए हुए हैं ।