(कहते हैं) ‘शरिया विधि के अनुसार इस्‍लामी प्रांत में मंदिर का निर्माण करना हराम !’ हिन्‍दूद्वेषी प्रचारक जाकिर नाइक की फिर से एक नई फुफकार 

  • हज यात्रा करने के लिए गैरमुसलमानों से पैसा लेना ‘हराम’ (निषेध) माने जाने पर भी हिन्‍दूबहुसंख्‍यक भारत में विगत अनेक दशकों तक हज यात्रा करने के लिए हिन्दुओं से अनुदान लेते समय जाकिर नाईक को इस ‘हराम’ का स्‍मरण क्‍यों नहीं हुआ ? धर्मांध सुविधाओं का लाभ उठाने हेतु किस प्रकार शरिया के नियमों का अपनी सुविधानुसार उपयोग करते हैं, यह जानें !
  • अब आधुनिकतावादी, धर्मांध, हिन्‍दूद्वेषी प्रसारमाध्‍यम, पाकिस्‍तान की वकालत करनेवाला बॉलीवुड का गिरोह, साथ ही ओवैसी, शशि थरूर जैसे नेता अब क्‍यों नहीं कहते, ‘जाकिर नाइक धार्मिक आधार पर समाज में भेदभाव और धार्मिक तनाव उत्‍पन्‍न कर रहा है’ (question मार्क नहीं आएगा)
  • कहां ‘वसुधैव कुटुम्‍बकम्’ की उदात्त एवं व्‍यापक शिक्षा देनेवाला हिन्‍दू धर्म, तो कहां अन्‍य धर्म से द्वेष करने की शिक्षा देनेवाले अन्‍य पंथ !

क्वालालंपुर (मलेशिया) – पाकिस्‍तान सरकार अपनी भूमि पर श्रीकृष्‍ण मंदिर के निर्माण के लिए आर्थिक सहायता कर पाप कर रही है । शरिया विधि के अनुसार इस्‍लामी प्रांत में मंदिर निर्माण करना हराम है । आतंकियों के प्रेरणास्रोत बने इस्‍लामी प्रचारक जाकिर नाइक ने एक कार्यक्रम में यह हिन्‍दूद्वेषी वक्‍तव्‍य दिया ।

पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने राजधानी इस्‍लामाबाद में श्रीकृष्‍ण मंदिर के निर्माण के लिए १० करोड पाकिस्‍तानी रुपए (४ करोड ४७ सहस्र भारतीय रुपए) की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी । इस पर एक कार्यक्रम में जाकिर नाइक से किसी ने ‘क्‍या इस्‍लामी प्रांत में मुसलमान करदाताओं के पैसों से मंदिर का निर्माण किया जा सकता है ?’, यह प्रश्‍न पूछा था । उस पर जाकिर नाइक ने उक्‍त उत्तर दिया ।

इस संदर्भ में विषवमन करते हुए उसने आगे कहा,

१. एक मुसलमान व्‍यक्‍ति गैरमुसलमानों के धार्मिक स्‍थल के निर्माण के लिए पैसे और अपना समर्थन नहीं दे सकता । इस संदर्भ में अनेक फतवे भी उपलब्‍ध हैं ।

२. तब भी किसी इस्‍लामी प्रांत में कहीं नया मंदिर अथवा चर्च का निर्माण किया ही गया, तो हमें उसे गिराने का पूरा अधिकार है ।

३. इस्‍लाम के अनुसार केवल पहले से स्‍थित मंदिर अथवा चर्च की रक्षा की जा सकती है; परंतु नए मंदिर अथवा चर्च का निर्माण नहीं किया जा सकता ।

४. गैरमुसलमानों को यदि इस्‍लामी प्रांत में रहना हो, तो उन्‍हें ‘धिम्‍मी’ नामक अनुबंध करना पडता है, जिसके द्वारा उन्‍हें संरक्षण दिया जा सकता है ।