ईरान ने भारत को चाबहार रेलवे परियोजना से हटाया

४ वर्षों के उपरांत भी परियोजना निधि न देने से निर्णय

  • चीन द्वारा पाक में निर्मित ग्‍वादर बंदरगाह को शह देने के लिए आवश्‍यक चाबहार बंदरगाह भारत की दृष्‍टि से अत्‍यंत महत्त्वपूर्ण है । अतः यह परियोजना हाथ से निकलने देना सरकार से अपेक्षित नहीं है !

तेहरान – ईरान ने भारत को चाबहार रेलवे परियोजना से हटाने का निर्णय लिया है । इस परियोजना के लिए निधि आनेवाली थी; परंतु अनुबंध के ४ वर्ष उपरांत भी निधि न आने के कारण यह निर्णय लिया गया है, ऐसा ईरान ने स्‍पष्‍ट किया है । ईरान अब यह परियोजना स्‍वयं के बल पर पूर्ण करेगा । बताया जा रहा है कि ईरान का यह कृत्‍य भारत के लिए एक बडा धक्‍का है ।
चाबहार बंदरगाह से जहेदान तक ६२८ कि.मी. लंबाई के रेल मार्ग निर्माण का काम प्रस्‍तावित है । गत सप्‍ताह में ईरान के परिवहन और शहर विकास मंत्री मोहम्‍मद इस्‍लामी ने इस रेल मार्ग का उद़्‍घाटन भी किया था । अफगानिस्‍तान की सीमा तक पहुंचनेवाली यह परियोजना वर्ष २०२२ तक पूर्ण होना अपेक्षित है । ईरान के रेल मंत्रालय ने कहा है कि ‘अब हम भारत की सहायता के बिना यह परियोजना पूर्ण करनेवाले हैं । उसके लिए ईरान की ‘राष्‍ट्रीय विकास निधि’ में से ४० करोड डॉलर्स का उपयोग किया जानेवाला है । इससे पूर्व यह परियोजना भारतीय रेलवे के अधिकार में आनेवाले प्रतिष्‍ठान पूर्ण करनेवाले थे । इस परियोजना के कारण भारत को अफगानिस्‍तान और अन्‍य मध्‍य एशियाई देशों के लिए एक वैकल्‍पिक मार्ग दिया जा सकता था । इस परियोजना के लिए भारत, ईरान और अफगानिस्‍तान के मध्‍य अनुबंध हुआ था ।’

वर्ष २०१६ में हुआ था अनुबंध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष २०१६ में ईरान का दौरा किया था । उस समय इस चाबहार अनुबंध पर हस्‍ताक्षर किए गए थे । इस संपूर्ण परियोजना के लिए १.६ अरब डॉलर्स का विनियोग अपेक्षित था । इस रेल मार्ग परियोजना के लिए भारतीय अभियंता भी ईरान गए थे; परंतु चर्चा है कि अमेरिका के प्रतिबंधों के भय से यह काम प्रारंभ नहीं हुआ । भारत ने इससे पहले ही ईरान से तेल का आयात अल्‍प कर दिया है ।

चाबहार बंदरगाह भारत के लिए अत्‍यधिक महत्त्वपूर्ण

चाबहार बंदरगाह भारत के लिए अत्‍यधिक महत्त्वपूर्ण है । चीन द्वारा पाकिस्‍तान में विकसित ग्‍वादर बंदरगाह से यह बंदरगाह केवल १०० कि.मी. की दूरी पर है । इसलिए पाकिस्‍तान और चीन, इन शत्रुराष्‍ट्रों का उद्देश्‍य विफल करने के लिए भारत के सहयोग से यह बंदरगाह बनना आवश्‍यक था ।

चीन और ईरान के मध्‍य ४०० अरब डॉलर्स का अनुबंध होनेवाला है

चीन और ईरान के मध्‍य २५ वर्षों के लिए ४०० अरब डॉलर्स एक अनुबंध होनेवाला है, ऐसी चर्चा है । इस अनुबंध के अनुसार चीन ईरान से अत्‍यधिक सस्‍ते मूल्‍य में तेल खरीदनेवाला है । इतना ही नहीं ईरान चीन को अत्‍याधुनिक शस्‍त्र भी देनेवाला है ।