कानपुर में पुलिसकर्मियों का हत्याकांड
- कुछ राजनीतिक नेताओं से भी संरक्षण दिए जाने का हुआ था प्रयास !
- जनता को यही लगता है कि २०० से भी अधिक पुलिसकर्मी एक गुंडे के संपर्क में थे, यह बात वरिष्ठ अधिकारियों और गृह विभाग को ज्ञात नहीं अथवा क्या उनकी भी उससे मिलीभगत थी ? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इसकी जांच कर अपराधियों को कठोर दंड मिलने हेतु प्रयास करने चाहिए !
- गुंडों के गिरोह की भांति आचरण करनेवाले पुलिसकर्मी ! ऐसे पुलिसकर्मी जनता के रक्षक नहीं, अपितु भक्षक ही हैं ! ऐसे पुलिसकर्मियों के कारण पुलिस बल के ही ८ पुलिसकर्मियों को अपने प्राण गंवाने पडे, जो पुलिस विभाग के लिए लज्जाजनक !
कानपुर (उत्तर प्रदेश) – कुछ दिन पूर्व यहां कुख्यात गुंडा विकास दुबे और उसके सहयोगियों द्वारा किए गए आक्रमण में ८ पुलिसकर्मी मारे गए थे । उसके पश्चात लापता विकास दुबे को पकडने में पुलिस विभाग को अभी सफलता नहीं मिली है । इस प्रकरण में चौबेपुर पुलिस थाने के थानाध्यक्ष विनय तिवारी को दुबे की सहायता करने के आरोप में निलंबित कर उसके विरुद्ध प्राथमिकी प्रविष्ट की गई है । क्या दुबे को और भी पुलिसकर्मियों से सहायता मिल रही थी, इसकी जांच चल रही है । प्राथमिक जांच में चौबेपुर पुलिस थाने के पुलिसकर्मियों सहित लगभग २०० पुलिसकर्मी दुबे की सहायता कर रहे थे, यह बात उनके ‘कॉल डिटेल्स’ की जांच में सामने आई है । इन पुलिसकर्मियों ने समय-समयपर दुबे की कुछ न कुछ सहायता की है, साथ ही दुबे के समाजवादी दल, भाजपा आदि राजनीतिक दलों के नेताओं से निकट संबंध हैं और उनके द्वारा ही दुबे को संरक्षण देने के निरंतर प्रयास किए गए हैं, ऐसा बताया जा रहा है ।