जिहादी आतंकी तानिया परवीन (आयु २२ वर्ष) का हाफिज सईद के संपर्क में होने की बात उजागर !

  • अत्याधुनिक शस्त्रों के प्रशिक्षण के लिए जानेवाली थी पाकिस्तान

  • मदरसों में भडकाऊ भाषणों के द्वारा युवकों को लष्कर-ए-तैयबा के साथ जोडने का काम

  • मुर्शिदाबाद में बनाए गए अनेक आतंकी शिविर

  • पुलवामा आक्रमण में सहभागी आतंकियों की थी प्रशंसा

  • केवल जिहादी पुरुष ही नहीं, अपितु इसमें महिलाएं भी कितनी अग्रणी हैं, यही इससे ध्यान में आता है ! ऐसी और कितनी महिलाएं भारत में आतंकी गतिविधियों में संलिप्त हैं, इसका अन्वेषण विभागों को जांच करनी चाहिए !
  • भारत के महिला संगठन और तथाकथित आधुनिकतावादी इस संदर्भ में क्यों नहीं बोलते ?

नई देहली – जिहादी आतंकी संगठन लष्कर-ए-तैयबा के साथ संबंध होने के आरोप में गिरफ्तार २२ वर्षीय जिहादी आतंकी तानिया परवीन हाफिज सईद के संपर्क में होने की चौंकानेवाली बात सामने आई है । तानिया ने कोलकाता के मौलाना आजाद महाविद्यालय से एम्.ए. की उपाधि प्राप्त की है ।

बंगाल के विशेष पुलिस बल ने लष्कर-ए-तैयबा के साथ संबंध होने के आरोप में तानिया परवीन को २४ परगना जनपद के बादुरिया से २० मार्च २०२० को गिरफ्तार किया था । वह दमदम जनपद के कारागार में बंद थी । उसके पश्‍चात राष्ट्रीय अन्वेषण विभाग (‘एन्.आई.ए.’) ने परवीन को १२ जून को पूछताछ के लिए अपने नियंत्रण में ले लिया ।

आतंकी तानिया परवीन से की गई पूछताछ में निम्नांकित अनेक चौंकानेवाली बातें सामने आईं हैं,

१. तानिया १० वर्ष पूर्व बांग्लादेश से घुसपैट कर भारत आई थी । लष्कर-ए-तैयबा में युवकों को भर्ती करने का दायित्व उसपर था । सरकारी जानकारी प्राप्त करने हेतु वह ‘हनी ट्रैप’ (किसी को मोहजाल में फंसाकर उससे अपेक्षित जानकारी प्राप्त करने हेतु उपयोग की जानेवाली युक्ति) का आधार लेती थी ।

२. तानिया के पास अनेक पाकिस्तानी ‘सिम कार्ड’ मिले । उसके पास से नियंत्रण में लिए गए कागदपत्र एवं डायरी को देखनेपर उसने बहुत संवेदनशील जानकारी प्राप्त किए जाने की बात उजागर हुई । मुंबई के २६/११ के आक्रमण का सूत्रधार तथा जिहादी आतंकी हाफिज सईद के साथ उसका २ बार संवाद भी हुआ है । वह पिछले ३ वर्ष से लष्कर-ए-तैयबा हेतु क्रियाशील है तथा उसने अनेक भडकाऊ भाषण भी दिए हैं ।

३. बंगाल के विशेष पुलिस बल ने आतंकी तानिया की जांच में पुलिस बल को उसके वॉट्स एप समूह में हाफिज सईद के २ निकटवर्तियों के चलितभाष क्रमांक मिले हैं । इन दोनों के माध्यम से ही हाफिज तानिया को संदेश भेजता था ।

४. तानिया को हवाला के माध्यम से पैसों की भी आपूर्ति की गई थी । उसके बैंक खाते में करोडों रुपए का लेन-देन होता था । तब से लेकर ही पुलिस प्रशासन का उसकी गतिविधियोंपर संदेह था । पिछले १ वर्ष से पुलिस प्रशासन उसकी गतिविधियोंपर दृष्टि बनाए हुआ था, ऐसा बताया जा रहा है ।

५. अपनी गिरफ्तारी के पूर्व बांग्लादेश सीमापर स्थित अनेक आतंकी संगठनों को एकत्रित कर वह किसी बडे आक्रमण करने की तैयारी में थी ।

६. तानिया ने मुर्शिदाबाद में अनेक आतंकी शिविर बनाए थे । वहां वह उसके संपर्कवाले लोगों को भडकाऊ भाषण कैसे देने चाहिए, इसका प्रशिक्षण देकर उन्हें जिहाद सिखाती थी ।

७. कुछ दिन पश्‍चात वह अत्याधुनिक शस्त्र चलाने का प्रशिक्षण लेने हेतु बांग्लादेश के मार्ग से पाकिस्तान जानेवाली थी । वहां वह पाकिस्तान का गुप्तचर संगठन आई.एस्.आई. के अधिकारियों से मिलनेवाली थी । उसने आतंकी संगठन चलाने हेतु बडी धनराशि भी इकट्ठा की थी ।

८. पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के सैनिकोंपर किए गए आक्रमण का छायाचित्र प्रसारित कर उसने यह आक्रमण करनेवाले जिहादी आतंकियों की प्रशंसा की थी ।

९. वह समय-समयपर मदरसों का अवलोकन कर वहां भडकाऊ भाषण देते हुए युवकों को लष्कर-ए-तैयबा के साथ जोड रही थी । युवकों को विशेषरूप से छात्र-छात्राओं को कट्टरपंथी बनाकर उन्हें आतंकी संगठनों के साथ जोडना, उसका प्रमुख उद्देश्य था । तानिया ने मुर्शिदाबाद में अनेक आतंकी शिविर बनाए हैं ।

१०. ‘एन्.आई.ए.’ की जांच में परवीन से अभीतक लष्कर-ए-तैयबा के संदर्भ में न दी गई महत्त्वपूर्ण जानकारी, साथ ही उसने किन-किन राज्यों में आतंकियों के गुप्त समूह (स्लीपर सेल) तैयार किए हैं, इसकी जानकारी मिल सकती है, ऐसा सब बताया जा रहा है । साथ ही उसने सेना के और किस-किसको अपने मोहजाल (‘हनी ट्रैप’) में फंसाया है, इसकी भी जानकारी मिल सकती है, ऐसा भी बताया जा रहा है ।

तानिया को स्थापित करना था इस्लामी राज्य !

हिन्दू राष्ट्रके आधारपर हिन्दुओं का मुगलों की भांति विरोध करनेवाले आधुनिकतावादी इस संदर्भ में एक शब्द भी नहीं बोलते, इसे ध्यान में लें !

तानिया का मुख्य उद्देश्य इस्लामी राज्य स्थापित करना था । उसके लिए वह जिहादी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से प्रेरणा लेती थी । उसे अपने स्तरपर इस्लामिक स्टेट की स्थापना करनी थी । उसे पाकिस्तान के उसके प्रमुखों ने अनेक भडकाऊ पुस्तकें भेजी थीं, जिन्हें पढकर उसकी मानसिकता कट्टरवादी बन गई । तानिया को इन्हीं पुस्तकों से जिहाद का प्रशिक्षण मिला ।