हिन्दुस्थान की भावी पीढी का निर्माण करें !
आज के बच्चे कल के आदर्श भारत के शिल्पकार हैं ! पश्चिम के अंधानुकरण एवं ‘टीवी’ के अतिरेक से भटक रही आज की पीढी को सुसंस्कारी एवं आदर्श बनाने का मार्ग है, ‘बालसंस्कार’ ग्रंथमाला !
सुसंस्कार एवं उत्तम व्यवहार
संस्कार क्यों आवश्यक हैं ? बच्चे माता-पिता एवं शिक्षकों से कैसा व्यवहार करें ? बच्चों के आदर्श कौन हों, उन्हें कौनसे खेल खेलने चाहिए आदि के विषय में विवेचन करनेवाला यह ग्रंथ, भावी पीढी के लिए दीपस्तंभ है !
बोधकथा
अपने बच्चों को भविष्य का आदर्श नागरिक बनाने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति के घर में संग्रहणीय यह ग्रंथ बच्चों के सामने सदाचार, साधना, गुरुनिष्ठा, राष्ट्रभक्ति, धर्मप्रेम, संस्कृति, सत्सेवा, त्याग-भावना आदि का उत्तम आदर्श रखता है !
टीवी, मोबाइल एवं इंटरनेट की हानिसे बचें और लाभ उठाएं !
- बच्चे दूरदर्शन का सीमित; परंतु हितकारी उपयोग कैसे करें ? ‘वीडियो गेम्स’ की आदत कैसे छुडाएं ?
- अभिभावक एवं शिक्षक ‘टीवी’, ‘इंटरनेट’ आदि संबंधी अपना दायित्व कैसे निभाएं ?
गुण बढाकर आदर्श बनें !
- प्रत्येक के लिए गुण क्यों आवश्यकता हैं ?
- पढाई के माध्यम से गुणों का संवर्धन कैसे होता है ?
- स्वावलंबन, त्याग आदि गुण आत्मसात कैसे करें ?
- साधक-विद्यार्थी गुणसंवर्धन के प्रयास कैसे करें ?
संपर्क क्रमांक – 9322315317