१. संपूर्ण संसार में परिवर्तन लाने के लिए भारत को ही कारण बनना होगा !
त्रेतायुग में विश्वयुद्ध का कारण भारतवर्ष था, द्वापरयुग में भी विश्वयुद्ध का कारण भारतवर्ष था तथा इस बार भी भारत को ही विश्वयुद्ध का कारण बनना होगा । संपूर्ण संसार में परिवर्तन लाने लिए अब भारत को ही कारण बनना होगा ।
२. संपूर्ण संसार में कलह उत्पन्न होकर इस्लामिक देश और चीन नष्ट हो जाएंगे तथा छोटे देश बडे देश में विलीन होंगे !
इस्लामिक देशों में बडा कलह उत्पन्न होगा तथा वहां की जनता आपस में ही लडकर समाप्त हो जाएगी । अनेक छोटे-छोटे देश बडे देशों में समाविष्ट हो जाएंगे । भारत इन सभी का नेतृत्व करेगा । चीन का अपनी सभी वैज्ञानिक उन्नति के प्रति अहंकार नष्ट होने से वह भी विनाश की कगार पर आ जाएगा । इनमें बचे चीनी लोगों को भारत सहायता करेगा । उस समय तिब्बत पुनः भारत में विलीन होगा ।
३. संसार के सब देश मिलकर भारत पर आक्रमण करें, तो भी वे भारत पर विजय प्राप्त नहीं कर पाएंगे ।
संसार के सभी देश एकत्रित होकर भारत पर आक्रमण करें, तब भी कोई भारत पर विजय प्राप्त नहीं कर पाएगा । भारत में आमूल परिवर्तन कर सबको नए रूप में संगठित किया जाएगा ।
४. अन्य देश कितने भी प्रयास करें, तब भी जागतिक सुरक्षा परिषद भारत में ही आएगी
जागतिक सुरक्षा परिषद को अमेरिका से भारत आने से रोकने के लिए संसार के सभी देश चाहे जितने प्रयास करें, उनके लिए यह संभव नहीं होगा । भविष्य में जागतिक सुरक्षा परिषद भारत में ही आएगी ।
५. संपूर्ण संसार में परिवर्तन करनेवाले इस महापुरुष का जन्म भारत के
एक छोटे गांव में हुआ है तथा उसके द्वारा संपूर्ण संसार में नए रूप से रचनात्मक परिवर्तन किया जाएगा !
संपूर्ण मानवजाति के इतिहास में अत्यंत महत्त्वपूर्ण सिद्ध होनेवाले इस महापुरुष का जन्म भारत के एक छोटे से गांव में हुआ है । उस महापुरुष को जनता से इतना समर्थन मिलेगा, जितना आज तक किसी को भी नहीं मिला होगा ! वह महापुरुष समाज में नए रूप से रचनात्मक परिवर्तन करेगा । ये परिवर्तन विश्व के सभी देशों में किए जाएंगे । उसका ध्वज और भाषा एक होगी ।
[संदर्भ : शाकाहारी पत्रिका (२८.८.१९७१)]