टाटा उद्योग समूह के प्रमुख रतन टाटा ने ९ अक्टूबर की रात अंतिम सांस ली। वह इस देश को मिले अनमोल रत्न थे। देश पर आई इस दुखद घड़ी में रतन टाटा द्वारा लिए गए कुछ राष्ट्रहितकारी निर्णयों को यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है।
१. आमिर खान के साथ सख्त व्यवहार जिन्होंने देशविरोधी बयान दिया था!
वर्ष 2016 में अभिनेता आमिर खान ने देशविरोधी बयान दिया था। इसके बाद, टाटा समूह के प्रमुख रतन टाटा ने खुद ही यह फैसला लिया कि समूह के किसी भी विज्ञापन में आमिर खान को शामिल नहीं किया जाएगा।
२. जेएनयू के लोगों को नौकरी न देने का निर्णय!
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हुई देशविरोधी घटनाओं से आहत होकर रतन टाटा ने अपने समूह की सभी कंपनियों में भविष्य में जेएनयू के लोगों को नौकरी न देने का निर्णय लिया।
Saluting Ratan Tata, a shining example of patriotism and selfless leadership.#RatanTataSir's vision for India's progress is truly inspiring!
Let's learn from his dedication to philanthropy and nation-building.
May his legacy continue to inspire generations!
Om Shanti l… pic.twitter.com/1pYZY19PNz
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) October 10, 2024
३. पाकिस्तानी ठेकेदार को कोई महत्व न देना!
मुंबई के २६/११ के आतंकी हमले के बाद, टाटा समूह के ‘ताज होटल’ सहित अन्य होटलों के नवीनीकरण के लिए निविदाएं आमंत्रित की गईं। कई देशों और संस्थानों ने आवेदन किया, जिनमें २ पाकिस्तानी संस्थान भी शामिल थे। पाकिस्तानी ठेकेदारों ने किसी भी तरह से निविदा प्राप्त करने के प्रयास किए और टाटा समूह के मुख्यालय में आने का भी प्रयास किया, लेकिन रतन टाटा ने उन्हें मिलने का अवसर तक नहीं दिया। घंटों इंतजार के बाद भी बुलावा न मिलने के कारण वे ठेकेदार निराश होकर लौट गए।
४. देशद्रोहियों को निविदा न देने का निर्णय!
दिल्ली में जाकर, पाकिस्तानी ठेकेदारों ने तत्कालीन केंद्र सचिव से रतन टाटा के विरुद्ध शिकायत की और उनसे मिलने का अवसर देने का अनुरोध किया। सचिव ने रतन टाटा से फोन पर कहा कि उन्हें (पाकिस्तानी ठेकेदारों को) निविदा दी जानी चाहिए। इस पर रतन टाटा ने जवाब दिया, “आपके पास देशप्रेम न हो, लेकिन हमारे पास है। मैं किसी भी तरह से उन देशद्रोहियों को निविदा नहीं दे सकता।”
५. पाकिस्तान को टाटा सुमो वाहन निर्यात न करना!
एक बार पाकिस्तान सरकार ने रतन टाटा से अनुरोध किया कि वे उन्हें टाटा सुमो वाहन निर्यात करें। हालांकि, रतन टाटा ने जानबूझकर पाकिस्तान को एक भी वाहन निर्यात नहीं किया। वे उस समय लाभ कमा सकते थे, लेकिन रतन टाटा केवल लाभ कमाने वाले उद्योगपति नहीं थे। उनके लिए उद्योग से पहले देश था।
इस उद्यमी से इस देश के नागरिकों, उद्योगपतियों, राजनेताओं, साहित्यकारों, और अन्य को बहुत कुछ सीखने की जरूरत है, है ना?
(संदर्भ: मासिक मेरु, मार्च २०१६)