सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘धर्म’ शब्द का अर्थ इस प्रकार है –
जगतः स्थितिकारणं प्राणिनां साक्षात्
अभ्युदयनिः श्रेयसहेतुर्यः स धर्मः ।
– आद्य शंकराचार्य (श्रीमद्भगवद्गीता भाष्य का उपोद्घात)
अर्थ : संपूर्ण विश्व की स्थिति एवं व्यवस्था उत्तम रहे, प्रत्येक प्राणि की ऐहिक उन्नति, अर्थात अभ्युदय एवं पारलौकिक उन्नति अर्थात मोक्षप्राप्ति, ये तीनों दिलानेवाले को ‘धर्म’ कहते हैं ।’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक