सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

हिन्दुओं की स्थिति अत्यंत दयनीय होने का कारण 

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

‘हिन्दू शब्द की व्याख्या है ‘हीनान् गुणान् दूषयति इति हिंदुः ।’, ‘हीनान् गुणान् अर्थात हीन, कनिष्ठ रज और तम गुणों का ‘दूषयति’ अर्थात नाश करनेवाला ! इस व्याख्या के अनुसार देखें तो हिन्दुओं में केवल १० प्रतिशत हिन्दू ‘खरे हिन्दू’ हैं ।
शेष ९० प्रतिशत केवल जन्महिन्दू हैं । इसलिए हिन्दुओं की स्थिति संसार में ही नहीं, अपितु भारत में भी अत्यंत दयनीय हो गई है ।’


पांडित्य दिखानेवाले केवल पुस्तक के समान होना !

‘पुस्तक में शाब्दिक ज्ञान होता है, वह पुस्तक स्वयं नहीं समझ पाती, उसी प्रकार पांडित्य दिखाने का जिन्हें शाब्दिक ज्ञान होता है, उन्हें उस ज्ञान की अनुभूति नहीं होती ।’


बुद्धिवादी अर्थात धर्मद्रोही !

धर्म बुद्धि से परे है । अतः धर्म को बिना समझे बुद्धिवादियों ने धर्म की आलोचना करना धर्मद्रोह ही है ।


धर्म का तिलमात्र भी अध्ययन न करनेवाले निरर्थक बुद्धिवादी !

‘आदिशंकराचार्य जी ने विरोधी पंडितों से वाद-विवाद कर उन्हें पराजित किया परंतु आजकल के बुद्धिवादियों तथा धर्मद्रोहियों को वाद विवाद कर पराजित नहीं किया जा सकता क्योंकि उनका धर्म का तिल मात्र भी अध्ययन नहीं रहता इस कारण वे वाद-विवाद करने के लिए सामने नहीं आते !’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले