पाकिस्तानी संसद में इमरान खान के दल ने भारतीय चुनाव की प्रशंसा की !
इस्लामाबाद (पाकिस्तान) – पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के दल ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ के सांसद शिबली फराज ने पाकिस्तान की संसद में पाकिस्तान के सार्वत्रिक चुनाव की आलोचना करते हुए भारत की चुनावी प्रक्रिया की प्रशंसा की है । फराज ने कहा, ‘‘मुझे मेरे शत्रुदेश का उदाहरण नहीं देना नहीं है; परंतु कुछ ही दिन पूर्व वहां चुनाव हुए हैं । उसमें ८० करोड लोगों ने मतदान किया । उसके लिए सहस्रों मतदान केंद्र बनाए गए । कुछ स्थानों पर एक व्यक्ति के लिए भी मतदानकेंद्र बनाया गया । चुनाव की यह प्रक्रिया एक महिने से भी अधिक समय तक चली । वहां इलेक्ट्रॉनिक यंत्र के द्वारा चुनाव लिया गया ।
इस अवधि में कहीं कोई गडबडी हुई, क्या ऐसी एक भी आवाज निकली थी ? विश्व का सबसे बडा लोकतंत्र होते हुए भी भारत ने धोखाधडी का आरोप लगे बिना बडे स्तर पर चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न किए । हमें भी पाकिस्तान में यही चाहिए ’’
फराज ने आगे कहा कि यह दल जीता अथवा वह दल जीता, इसी में देश फंसा रहे, यह हमारी इच्छा नहीं है । ऐसी बातों के कारण ही हमारी राजनीतिक व्यवस्था संपूर्णतः खोखली बन चुकी है । हम हमारे चुनाव भी मुक्त वातावरण में तथा निष्पक्षरूप से क्यों नहीं ले सकते ?
पाकिस्तान के चुनाव पर प्रश्नचिन्ह उठे !
पाकिस्तान में ८ फरवरी को सार्वत्रिक चुनाव हुए; परंतु उसके पूर्व ही वहां किसकी सरकार आनेवाली है, यह स्पष्ट हो चुका था । पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की लहर चल रही थी । पाक सेना को इमरान खान अच्छे नहीं लगते । नवाज शरीफ पुनः सत्ता में आए, यह सेना की इच्छा थी । इमरान खान के दल को चुनाव में प्रत्याशी खडे करने पर प्रतिबंध लगाया गया था । चुनाव परिणाम आने पर हेराफेरी के आरोप लगे थे । इमरान को समर्थन देनवाले प्रत्याशियों को चुनाव में बलपूर्वक पराजित किए जाने के आरोप लगे थे ।
इस प्रकरण में अमेरिका के ३१ सांसदों ने राष्ट्रपति जो बाइडेन तथा विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन को पत्र लिखकर ‘चुनाव को सैनिकी हस्तक्षेप के आरोपों की जांच होने तक पाकिस्तान की नई सरकार को मान्यता न दी जाए’, यह मांग की थी । पाकिस्तान के चुनाव शांतिपूर्ण पद्धति से संपन्न नहीं हुए थे । ८ फरवरी को चलित भ्रमणभाष सेवा बंद की गई थी । देश के अनेक भागों में हिंसा भी देखने को मिली । चुनाव परिणाम घोषित होने में भी विलंब हुआ, उसके कारण हेराफेरी का संदेह बढ गया था ।
संपादकीय भूमिकापाकिस्तान में कभी भी ऐसा नहीं हो सकता; क्योंकि वहां लोकतंत्र नहीं, अपितु सैन्यतंत्र चलता है, यह वास्तविकता है ! |