India Taiwan Relation : (और इनकी सुनिए…) ‘भारत को ताइवान की राजनीतिक चाल का विरोध करना चाहिए !’ – चीन

ताइवान के राष्ट्रप्रमुख ने प्रधानमंत्री मोदी को चुनाव के विजय पर बधाई देने पर भडका चीन !

(बाएंसे ) ताइवान के राष्ट्रपति लाइ चिंग-ते, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधान मंत्री  नरेंद्र मोदी

वॉशिंग्टन (अमेरिका) – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ताइवान के राष्ट्रपति में सामाजिक माध्यमों की पोस्टद्वारा हुई बातचीत का चीन ने निषेध किया है । ताइवान के राष्ट्रपति ने भाजपाप्रणित गठबंधन की विजय के लिए प्रधानमंत्री मोदी का अभिनंदन किया था । इसपर प्रधानमंत्री मोदी ने आभार व्यक्त किए थे । ‘भारत को ताइवान के अधिकारियों की ‘राजनीतिक दावपेचों’ का विरोध करना चाहिए, ऐसा कहकर चीन ने इसका निषेध किया ।

अमेरिका ने लिया भारत का पक्ष !

इस मामले में अमेरिका ने मत व्यक्त किया है । अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता को इस विषय में प्रश्न पूछने पर उन्होंने कहा कि मैंने पूरी बात को समझ नहीं लिया है; परंतु इस प्रकार से अभिनंदन करना एक राजनीतिक कामकाज का अंग है ।

(और इनकी सुनिए…) ‘ताइवान चीन का अंग !’

चीन के कहने के अनुसार ताइवान उसका अविभाज्य प्रांत है तथा किसी भी प्रकार से उसे मुख्य भूमि (चीन) से पुन: जोड दिया जाना चाहिए । चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन ताइवान के अधिकारी और वे देश जिनका चीन से राजनीतिक संबंध है, दोनों में हुए सभी प्रकार के अधिकृत बातचीत का विरोध करता है । विश्व में एक ही चीन है और ताइवान चीन प्रजातंत्र का अविभाज्य अंग है । ‘एक-चीन सिद्धांत’ अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सर्वमान्य प्रमाण है और इस विषय पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में एकमत है । भारत ने इस सूत्र पर गंभीर राजनीतिक वचनबद्धता व्यक्त की है । भारत को ताइवान के अधिकारियों की राजनीतिक दावपेचों को समझना और उसका विरोध करना आवश्यक है । इस विषय में चीन ने भारत के पास निषेध व्यक्त किया है ।

भारत और ताइवान में क्या हुई थी बातचीत ?

‘चुनाव में प्राप्त विजय के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हार्दिक बधाई । गति से बढनेवाली ‘ताइवान-भारत साझेदारी’ आगे ले जाने के लिए, इंडो-पैसिफीक प्रदेश में शांति और समृद्धि के लिए योगदान देने के लिए, व्यापार, प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में हमारा सहयोग बढाने के लिए हम उत्सुक हैं’, ऐसी पोस्ट ताइवान के राष्ट्रपति लाइ चिंग-ते ने की थी । इसपर प्रधानमंत्री मोदी ने ‘लाइ चिंग-ते’, आप की प्यारभरी बधाई के लिए धन्यवाद । मैं ताइवान से और भी घनिष्ठ संबंधों की आशा रखता हूं । परस्पर लाभकारी आर्थिक और प्रौद्योगिक साझेदारी की दिशा में काम करता हूं’, ऐसा कहते हुए आभार व्यक्त किए थे ।

संपादकीय भूमिका 

भारत क्या करें अथवा न करें ?, चीन को यह बताने की आवश्यकता नहीं है । ‘भारत चीन को यदि उसकी विदेश नीतियों पर परामर्श देगा, तो क्या चीन सुनेगा ?’ क्या ऐसा प्रश्न भारत को चीन से पूछना चाहिए ?